शिवचरण माथुर की प्रतिमा अनावरण समारोह में: मंच पर नहीं बुलाए गए स्थानीय नेता, धीरज गुर्जर की गैरमौजूदगी को लेकर चर्चा
@ गहलोत के बाद बदला माहौल, स्थानीय नेताओं की ‘चुप्पी’ बनी चर्चा का विषय
भीलवाड़ा (चाणक्य)।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर और उनकी पत्नी सुशीला माथुर की प्रतिमा अनावरण समारोह को लेकर भीलवाड़ा की सियासत में हलचल मची हुई है। भीलवाड़ा और मांडलगढ़ में हुए दो बड़े आयोजनों में स्थानीय नेताओं को मंच पर न बुलाए जाने को लेकर कांग्रेस खेमे में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
भीलवाड़ा में जहां शिवचरण माथुर के करीबी माने जाने वाले कैलाश व्यास कार्यक्रम में मौजूद थे, वहीं मांडलगढ़ में वरिष्ठ नेता प्रदीप कुमार सिंह भी उपस्थित रहे, मगर दोनों को ही बोलने का अवसर नहीं मिला। इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष का माहौल देखा जा रहा है।
इधर, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव धीरज गुर्जर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे भीलवाड़ा में मौजूद होने के बावजूद इन दोनों कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए। उल्टा, उन्होंने सचिन पायलट को अपने आवास पर बुलाकर अलग से सभा आयोजित कर दी, जिससे राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को हवा मिल गई है।
दोनों समारोहों में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की मौजूदगी ने आयोजन को भव्य बना दिया, लेकिन स्थानीय नेतृत्व की कमी और मंच पर अवसर न मिलने की बात लगातार चर्चा में है।
कार्यक्रम के बाद यह भी देखा गया कि गहलोत की मौजूदगी तक किसी ने उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उनके जाते ही कुछ नेताओं ने कटाक्ष शुरू कर दिए। इससे कांग्रेस के भीतर की खामोश नाराज़गी एक बार फिर सतह पर आने लगी है।
राजनीतिक विश्लेषण:
यह पूरा घटनाक्रम कांग्रेस के स्थानीय और राज्य स्तरीय नेतृत्व के बीच बढ़ती दूरी की झलक माना जा रहा है। गहलोत-पायलट की मौजूदगी ने भले ही भीड़ जुटा दी हो, लेकिन स्थानीय नेताओं की चुप्पी ने संगठनात्मक असंतोष को उजागर कर दिया है।
