सिंधी समाज को अल्पसंख्यक बनाने की राजनीतिक साजिश को नहीं होने देंगे सफल, मंदिरों को पवित्र रखने की समाज करे पहल-बोले महामण्डलेश्वर हंसराम
भीलवाड़ा (हलचल)। सिंधी समाज को न तो अल्पसंख्यक बनने देेंगे और न ही राजनीति का शिकार होने देंगे। यही नहीं समाज के मंदिरों को भी दूषित होने से बचायेेंगे। यह बात हरिशेवा धाम के महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने हलचल से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज को अलग अलग पंथ बनाने का प्रयास कर रहे है। जबकि राजनीतिक साजिश के तहत सिंधी समाज को जैन और सिक्ख समाज की तरह अल्पसंख्यक बनाने का प्रयास भी चल रहा है लेकिन इसे सफल नहीं होने देंगे।
पिछले दिनों अजमेर में एक कार्यक्रम के दौरान महामण्डलेश्वर द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर भीलवाड़ा के सिंधी समाज ने विरोध किया था इसी को लेकर महामण्डलेश्वर ने आज माफीनामा कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम में देश भर के सिंधी समाज के लोगों को आमंत्रित किया गया लेकिन इंदौर, पुष्कर, अजमेर के संतों के अलावा यहां कोई भी बाहर से व्यक्ति नहीं पहुंचा है। भीलवाड़ा के जिन लोगों ने विरोध किया था वे भी आज माफीनामा लेकर पहुंचे। इस मौके पर महामण्डलेश्वर उदासीन ने कहा कि समाज के मंदिरों को शुद्ध रखने के लिए समाज के लोगों को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने पूर्व में मंदिरों में शराब पीकर नाचने की बात कही थी और एक वीडियो भी जारी किया था।
माफीनामा कार्यक्रम में सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत भीलवाड़ा के तत्वावधान में विविध पंचायतों, संस्थाओं, मंदिरो, धर्मशालाओं आदि के पदाधिकारियों सदस्यों के सामूहिक हस्ताक्षर का एक पत्र माफी नामा के घटनाक्रम के संबंध में जारी हुआ। कार्यक्रम के दौरान इस पत्र का वाचन कर सर्वजन को बताया गया। माफी मांगना उचित नहीं कहते हुए माफी मांगने के कार्यक्रम को निरस्त करने का निवेदन किया गया। सिंधी समाजजन ने महामंडलेश्वर से माफी मांगी। पूर्व घोषित अनुसार माफी नामा का आयोजन हुआ, जिसमें उपस्थित संतो महापुरूषो ने अपने विचार प्रकट किये। महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो घटना मूलत: है, उसे पूर्ण रूप से नहीं रखा गया है। उन्होंने विनम्रतापूर्वक समाज के बुजुर्गजनों से अशोभनीय बातों पर लगाम लगाये जाने की बात कही। पूर्व में समाज के तथाकथित बन्धुओं द्वारा विविध सोशल मीडिया पर अनर्गल टिप्पणीयां संत समाज के प्रति करी है, जिस पर उन्होंने किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं करने की बात कही। उन्होंने चंद लोगों के द्वारा घटनाक्रम के पीछे मूलत: सिन्धी समाज को अल्पसंख्यक घोषित करने का भी मन्तव्य होना बताया तथा सिन्धी समाज को अल्पसंख्यक बनाने के लिए झूलेलाल धर्म नहीं बनने देने की बात कही। महंत गणेशदास ने कहा कि साधु द्वारा जो शब्द निकाला जाता है, उनको समझने की कोशिश करनी चाहिए अन्यथा गलत संदेश जायेगा। गलत विचारों व गलत भावनाओं पर ध्यान न देने को कहा। महंत स्वरूपदास अजमेर, महंत श्यामदास किशनगढ़, महंत तुलसीदास भोपाल ने भी अपने विचार प्रकट किये, उनके अनुसार महामण्डलेश्वर जी के द्वारा जो वक्तव्य दिया गया है, वह कड़वा जरूर है। हम सभी झूलेलाल जी को मानते है, किन्तु संतो की बात को समझे, उनकी मंशा को समझे। सनातन धर्म सर्वोपरि मानते हुए किसी बिन्दु अथवा वक्तव्य पर संशय गलती वगैराह है तो मिल बैठकर बात करने व समाधान निकाले जाने की बात हुई। सभी ने वर्तमान परिपेक्ष में धार्मिक व सामाजिक व्यवस्थाओं पर सुधार किये जाने की आवश्यकता भी व्यक्त की।
संत,ग्रंथ, देवता किसी एक समाज के नहीं है तथा महामंडलेश्वर जी के द्वारा समय-समय पर अनेक कार्य एवं मांगे सरकार के समक्ष रखी जाने की बात कही। महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने पूर्व में 18 जनवरी के पत्र के क्रम में पुन: आज एक ओर स्मरण पत्र सिन्धी भाषियों के लिए जारी करते हुए शिवरात्रि पर्व के बाद बुद्धिजीवियों विद्वानो का संगठित दल बना चर्चा किये जाने का आव्हान किया। कार्यक्रम में महंत हनुमानराम उदासीन पुष्कर, महंत अर्जुनदास अजमेर, संत संतदास इन्दौर, संत मयाराम, संत राजाराम, संत अर्जुनदास, संत ईश्वरदास, बालक इन्द्रदेव, सिद्धार्थ, मिहिर, पं. सत्यनारायण, चंदन, वीरूमल पुरसानी, ईश्वर कोडवानी, गंगाराम पेशवानी, हेमन्त वच्छानी, ओम गुलाबानी, रमेश खोतानी, कैलाश कृपलानी, ईश्वर आसनानी, अंबालाल नानकानी, पुरूषोत्तम परियाणी, हीरालाल गुरनानी, पंकज आडवानी, विनोद झुरानी, मनीष सबदानी, हरीश गुरनानी, पप्पी सामतानी, जय गुरनानी, कन्हैया जगत्यानी, दीपक केसवानी, रतन चंदनानी, अशोक हरजानी, संजय गुरनानी सहित समाज के अनेक गणमान्यजन सम्मिलित हुए।