बनास नदी बचाने की गुहार-: बनास नदी बचाओ को लेकर ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से पहुंचे कलेक्ट्रेट, प्रदर्शन कर दिया ज्ञापन
भीलवाड़ा बीएचएन। भीलवाड़ा में बनास नदी में अवैध बजरी खनन और हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना के खिलाफ बुधवार को चांदगढ़, आकोला, जीवाखेड़ा, दोवनी, खजीना, होलीरड़ा, गेगा का खेड़ा और बड़लियास सहित दर्जनों गांवों के सैकड़ों ग्रामीण ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सवार होकर भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने जोरदार प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी का आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय जयपुर द्वारा सिविल पिटीशन 4250/2012 में छ्वष्टक्च और क्रशर मशीनों से खनन पर प्रतिबंध होने के बावजूद लीजधारक महादेव इन्क्लेव प्रा लि खुलेआम इनका इस्तेमाल कर रहा है ग्रामीणों ने बताया कि बनास नदी के ब्लॉक नंबर 7 में 8 से 10 मीटर गहरा खनन किया जा रहा है जबकि अनुमति केवल 0.5 मीटर की है इससे सरकार को प्रतिदिन करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है।
चरागाह भूमि और पर्यावरण को खतरा
ग्रामीणों का कहना है कि लीजधारक कंपनी द्वारा चरागाह भूमि पर रास्ते बना दिए गए पेड़ों को काट दिया गया और नदी के बहाव क्षेत्र को अवरुद्ध कर दिया गया है इससे चरागाह की घास नष्ट हो गई और मवेशी भूखे मरने की स्थिति में हैं कंपनी ने न तो पर्यावरण स्वीकृति के तहत पेड़ लगाए और न ही सीमा निर्धारण के पिलर लगाए।
पुलिस और माइनिंग विभाग पर मिलीभगत का आरोप
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और माइनिंग विभाग पर लीजधारक से मिलीभगत का आरोप लगाया उनका कहना है कि पुलिस द्वारा डंपर की सुरक्षा में बजरी निकाली जा रही है और विरोध करने पर ग्रामीणों को डराया धमकाया जा रहा है ठेकेदार के कुछ कर्मचारियों पर अवैध हथियार रखने और हिस्ट्रीशीटर होने के आरोप भी लगाए गए।
बनास नदी के अस्तित्व पर खतरा
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर अवैध खनन नहीं रुका तो नदी की गहराई कुओं से अधिक हो जाएगी जिससे सिंचाई और पेयजल संकट खड़ा होगा किसानों और मवेशियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा उन्होंने कहा बनास नदी हमारी मां है इसे बचाने के लिए हम अपने प्राण न्योछावर कर देंगे
ये है ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
-ब्लॉक नंबर 7 की लीज तुरंत निरस्त की जाए
-हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सख्ती से पालना कराई जाए
- अवैध मशीनों और डंपरों पर कार्रवाई हो
-माइनिंग विभाग और लीजधारक के बीच की मिलीभगत की जांच की जाए
-पर्यावरण और चरागाह भूमि की बहाली की व्यवस्था की जाए
हाथ से बजरी निकालने की मांग
ग्रामीणों ने सरकार से अपील की कि यदि बजरी का खनन किया भी जाए तो केवल मजदूरों के माध्यम से हाथ से पारंपरिक तरीके से किया जाए ताकि नदी का स्वरूप और पर्यावरण संरक्षित रहे।
