चित्तौड़ का रमेश ईनाणी हत्याकांड: नामजद होते ही संत रमताराम व भजनाराम रामस्नेही संप्रदाय से निष्कासित
हत्या की साजिश के आरोप, जमीन विवाद और शूटर से पुराने संपर्क ने खोले कई राज
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
चित्तौड़गढ़ शहर के बहुचर्चित रमेश ईनाणी हत्याकांड ने अब धार्मिक जगत में भी बड़ा भूचाल ला दिया है। इस सनसनीखेज हत्या प्रकरण में नामजद किए गए चित्तौड़गढ़ के संत रमताराम और सिरोही के संत भजनाराम को रामस्नेही संप्रदाय ने बुधवार देर शाम संप्रदाय से निष्कासित कर दिया। संप्रदाय का यह आदेश सामने आते ही धार्मिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चाओं का दौर तेज हो गया।
रामस्नेही संप्रदाय द्वारा जारी निष्कासन आदेश में स्पष्ट किया गया है कि संप्रदाय की मर्यादा और अनुशासन सर्वोपरि है तथा किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि में संलिप्तता पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
रामस्नेही संप्रदाय के कार्यवाहक भंडारी साधु जगवल्लभराम रामस्नेही ने बताया कि यह निर्णय पीठाधीश्वर आचार्यश्री स्वामी रामदयालजी महाराज के निर्देश पर लिया गया। वरिष्ठ संतों और भक्त समुदाय के आग्रह के बाद यह कठोर कदम उठाया गया। निष्कासन आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि इस हत्याकांड में भविष्य में किसी अन्य संत की संलिप्तता सामने आती है, तो उसे भी स्वतः संप्रदाय से निष्कासित माना जाएगा।
गौरतलब है कि 11 नवंबर को चित्तौड़गढ़ शहर में दिनदहाड़े कुरियर व्यवसायी रमेश ईनाणी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात से पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी। पुलिस ने शूटर मनीष कुमार दुबे को गिरफ्तार कर लिया है।
मृतक के परिजनों की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में संत रमताराम पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि उत्तरप्रदेश से शूटर को बुलाने की भूमिका संत भजनाराम के माध्यम से निभाई गई। पुलिस जांच और अदालत में पेश तथ्यों के अनुसार यह पूरा मामला रामद्वारे के पीछे स्थित भूमि विवाद से जुड़ा बताया जा रहा है। संत रमताराम और रमेश ईनाणी के बीच इस जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।
जानकारी के अनुसार उक्त भूमि रमेश ईनाणी के चाचा-ताऊ से खरीदी गई थी, लेकिन कब्जा रमेश ईनाणी के पास था। इस संबंध में सिविल वाद भी न्यायालय में विचाराधीन था। आरोप है कि कई बार जमीन पर कब्जा लेने की कोशिश असफल रहने के बाद रमेश ईनाणी को रास्ते से हटाने की योजना बनाई गई।
तकनीकी अनुसंधान में पुलिस को अहम जानकारियां मिली हैं। जांच में सामने आया कि शूटर मनीष दुबे जून 2022 से ही संत रमताराम के संपर्क में था। जुलाई 2022 में वह पहली बार टैक्सी से चित्तौड़गढ़ आया था। हालांकि पूछताछ में रमताराम ने शूटर से किसी भी तरह के संपर्क से इनकार किया, लेकिन पुलिस जांच में इंटरनेट के माध्यम से दोनों के बीच नौ बार संपर्क होने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा जनवरी 2024 से जून 2024 के बीच करीब 95 हजार रुपये की राशि अलग-अलग लोगों के माध्यम से शूटर के खाते में ट्रांसफर होने के साक्ष्य भी सामने आए हैं।
संत रमताराम ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट जोधपुर में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया हुआ है। इससे पहले चित्तौड़गढ़ जिला न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से अरविंद कुमार व्यास, परिवादी की ओर से एल.एल. पोखरना और अपर लोक अभियोजक पुष्पेंद्र ओझा ने पक्ष रखा। न्यायालय ने प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप मानते हुए राहत देने से इनकार कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम ने धार्मिक संस्थाओं की भूमिका और जवाबदेही को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि रामस्नेही संप्रदाय द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों संतों को निष्कासित किया जाना यह संकेत देता है कि संप्रदाय अपराध और अनुशासनहीनता पर कोई समझौता नहीं करेगा। फिलहाल पूरे मामले में पुलिस जांच जारी है और आगे की कानूनी कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
