अदालत का बड़ा फैसला-: नाबालिग को सोशल साइट से फंसाकर कुचामन बुलाकर होटल में किया गैंगरेप, फरहान, हैदर और जयप्रकाश को आजीवन कारावास

Update: 2025-11-21 13:53 GMT

 भीलवाड़ा बीएचएन। सोशल साइट इंस्टाग्राम के माध्यम से दोस्ती कर नाबालिग को कुचामन सिटी बुलाकर होटल में गैंगरेप करने वाले दो युवकों और एक होटल मैनेजर को पोक्सो न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशिष्ट न्यायाधीश (पोक्सो दो) श्रीमति अर्चना मिश्रा ने शुक्रवार को यह अहम फैसला सुनाते हुए तीनों दोषियों पर दो-दो लाख रुपये के अर्थदंड का आदेश भी दिया। मामला पिछले वर्ष अप्रैल में सामने आया था जिसमें पुलिस की त्वरित कार्रवाई और मजबूत अभियोजन के आधार पर अदालत ने कड़ा निर्णय दिया।

कैसे दर्ज हुआ था मामला

हमीरगढ़ थाने में सोलह अप्रैल को नाबालिग के परिजन ने रिपोर्ट दी थी कि पंद्रह अप्रैल को उनकी बेटी को कोई बहला फुसलाकर ले गया है। पुलिस ने जांच शुरू की और घटनाक्रम को ट्रेस करते हुए बीस अप्रैल को नाबालिग को दस्तयाब किया। इसके बाद नाबालिग के बयान दर्ज किये गये, जिनमें गैंगरेप की पुष्टि हुई। मामला गंभीर होने पर जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र यादव ने विशेष टीम गठित की। टीम ने नाबालिग के बताए अनुसार कुचामन से

कुचामनसिटी के लुहारिया बास निवासी फरहान कुरैशी (19) पुत्र फिरोज कुरैशी, खान मोहल्ला निवासी हैदर खान (21) सकील खान व बुनकर बस्ती, आर्य कॉलोनी कुचामन सिटी निवासी होटल मैनेजर जयकुमार उर्फ जयप्रकाश आर्य (28) को डिटेन कर पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया।

पीडि़ता ने बयान में क्या बताया

विशिष्ट लोक अभियोजक अनिलकुमार शुक्ला के अनुसार नाबालिग ने बताया कि फरहान ने तीन से चार महीने पहले इंस्टाग्राम पर दोस्ती की थी। बाद में वीडियो कॉल के माध्यम से अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर लिये और वायरल करने की धमकी देकर शादी का दबाव बनाने लगा। पंद्रह अप्रैल को उसने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कुचामन बुलाया। डर के कारण नाबालिग वहां पहुंची जहां फरहान और हैदर उसे एक होटल में ले गये और दोनों ने दुष्कर्म किया। बाद में होटल मालिक जयप्रकाश ने नाबालिग को दूसरी जगह ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और अगले दिन उसका भाई उसे अजमेर छोड़ गया, जहां से वह घर लौटी।

अभियोजन पक्ष ने रखे पुख्ता सबूत

ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने 82 दस्तावेज और 19 गवाह प्रस्तुत किए। सबूतों और बयानों के आधार पर अदालत ने तीनों आरोपितों को दोषी मानते हुए उन्हें आजीवन कारावास और दो-दो लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला नाबालिगों के प्रति अपराधों पर न्याय व्यवस्था की सख्त कार्रवाई का उदाहरण माना जा रहा है।

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