उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान,: अनियंत्रित रूप से फैल रहे कोचिंग सेन्टर युवाओं के लिए एक गंभीर संकट,,अब बन गए हैं पोचिंग सेंटर-धनखड़

Update: 2025-07-12 17:48 GMT
अनियंत्रित रूप से फैल रहे   कोचिंग सेन्टर युवाओं के लिए एक गंभीर संकट,,अब बन गए हैं पोचिंग सेंटर-धनखड़
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 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों को पोचिंग सेंटर एवं सुदृढ़ सांचों में प्रतिभा को जकड़ने वाले काले छिद्र बताते हुए कहा है कि अनियंत्रित रूप से फैल रहे ये कोचिंग सेन्टर युवाओं के लिए एक गंभीर संकट बनते जा रहे है और इस चिंताजनक बुराई से निपटना ही होगा और हम अपनी शिक्षा को इस तरह कलंकित और दूषित नहीं होने दे सकते।

श्री धनखड़ शनिवार को कोटा में  भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कोटा के चौथे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा “हम गुरुकुल की बात कैसे न करें, हमारे संविधान की 22 दृश्य-प्रतिमाओं में एक गुरुकुल की छवि भी है। हम सदैव ज्ञानदान में विश्वास रखते आए हैं। कोचिंग सेंटर को अपने ढांचे का उपयोग कौशल केंद्रों में परिवर्तित करने के लिए करना चाहिए। मैं नागरिक समाज और जनप्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि इस समस्या की गंभीरता को समझें और शिक्षा में पुनर्संयम लाने के लिए एकजुट हों। हमें कौशल आधारित कोचिंग की आवश्यकता है।”

उन्होंने कोचिंग सेंटरों द्वारा विज्ञापनों पर भारी खर्च की आलोचना करते हुए कहा, “अखबारों में विज्ञापनों और होर्डिंग्स पर भारी पैसा बहाया जाता है। यह पैसा उन छात्रों से आता है जो या तो कर्ज लेकर या बड़ी कठिनाई से अपनी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। यह धन का उपयुक्त उपयोग नहीं है। ये विज्ञापन भले ही आकर्षक लगें, पर हमारी सभ्यतागत आत्मा के लिए आँखों की किरकिरी बन गए हैं।”

धनखड़ ने कहा कि अब देश किसी सैन्य आक्रमण से नहीं, बल्कि विदेशी डिजिटल बुनियादी ढांचे पर निर्भरता से कमजोर और पराधीन होंगे। सेनाएं अब एल्गोरिद्म में बदल गई हैं। संप्रभुता की रक्षा का संघर्ष अब तकनीकी स्तर पर लड़ा जाएगा।” उन्होंने तकनीकी नेतृत्व को नई राष्ट्रभक्ति का आधार बताते हुए कहा कि हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं- एक नए राष्ट्रवाद के युग में। तकनीकी नेतृत्व अब देशभक्ति की नई सीमा रेखा है। हमें तकनीकी नेतृत्व में वैश्विक अगुवा बनना होगा।

उन्होंने रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात-निर्भरता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, यदि हम रक्षा के क्षेत्र में बाहर से तकनीकी उपकरण प्राप्त करते हैं, तो वह देश हमें ठहराव की स्थिति में ला सकता है। डिजिटल युग में बदलती वैश्विक शक्ति संरचनाओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, 21वीं सदी का युद्धक्षेत्र अब भूमि या समुद्र नहीं है। पारंपरिक युद्ध अब अतीत की बात हो गई है। आज हमारी शक्ति और प्रभाव ‘कोड, क्लाउड और साइबर’ से तय होते हैं।

डिजिटल आत्मनिर्भरता में भारत को अग्रणी बनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपनी डिजिटल नियति के निर्माता बनना होगा और अन्य देशों की नियति को भी प्रभावित करना होगा। हमारे कोडर, डेटा वैज्ञानिक, ब्लॉकचेन इनोवेटर और एआई इंजीनियर आज के राष्ट्र निर्माता हैं। भारत, जो कभी वैश्विक अग्रणी था, अब केवल उधार की तकनीक का उपयोगकर्ता बनकर नहीं रह सकता। पहले हमें तकनीक के लिए वर्षों प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। अब यह समय सप्ताहों में सिमट गया है। हमें तकनीक का निर्यातक बनना चाहिए।”

अपने उद्बोधन का समापन करते हुए उपराष्ट्रपति ने रटंत शिक्षा की संस्कृति की तीव्र आलोचना करते हुए कहा, ”हम आज रट्टा मारने की संस्कृति के संकट से जूझ रहे हैं, जिसने जीवंत मस्तिष्कों को केवल अस्थायी जानकारी के यंत्रवत भंडारों में बदल दिया है। इसमें न तो कोई आत्मसात है, न कोई समझ। यह रचनात्मक विचारकों की बजाय बौद्धिक ‘ज़ॉम्बी’ तैयार कर रहा है। रट्टा ज्ञान नहीं देता, केवल स्मृति देता है। यह डिग्रियों को गहराई के बिना जोड़ता है।”

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि जीवन की एक नई शुरुआत है। यह वह पड़ाव है जहां से युवा अपने ज्ञान, विचार और दृष्टिकोण से समाज और देश के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। अपने उद्बोधन में उन्होंने महात्मा बुद्ध के प्रसिद्ध वाक्य ‘अप्प दीपो भवः’ अपना दीपक स्वयं बनो को उद्धृत करते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपने भीतर प्रकाश उत्पन्न करे और अपनी मेधा से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को आलोकित करें।

समारोह में कुल 189 डिग्रियां प्रदान की गईं। जिनमें से कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग (सीएसई) में 123 बीटेक डिग्री, इलेक्ट्रोनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग (ईसीई) में 62 बी टेक डिग्री व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डेटा इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता के साथ सीएसई में 4 एम टेक डिग्री प्रदान की गईं। वहीं शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए अंकुर अग्रवाल (सीएसई) व ध्रुव गुप्ता (ईसीई) को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. भट्ट, निदेशक प्रो. एन.पी. पाढ़ी सहित संस्थान की फैकल्टी, छात्र-छात्राएं एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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