राजस्थान के 8 जिलों में बाढ़ के हालात, बूंदी में फंसे 500 लोगों को निकाला गया; सेना ने संभाला मोर्चा

Update: 2025-08-23 17:55 GMT

जयपुर  राजस्थान में शनिवार को लगातार दूसरे दिन मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। आठ जिलों में भारी वर्षा का सिलसिला जारी रहा, जिसके कारण कोटा, सवाई माधोपुर, करौली और बूंदी में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई। कई गाँव टापुओं में तब्दील हो गए, और उनका जिला मुख्यालयों से संपर्क टूट गया।  वहीं बूंदी में भारी बारिश के फंसे 500 लोगों को बचाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा।  



 


राजस्थान के आठ जिलों में शनिवार को भारी बारिश का दौर जारी रहा, जिसने सामान्य जनजीवन को ठप कर दिया। कोटा, सवाई माधोपुर, करौली और बूंदी में बाढ़ की स्थिति ने प्रशासन और स्थानीय लोगों के लिए गंभीर चुनौतियाँ खड़ी कर दीं। इन जिलों के कई गाँव पानी में डूब गए, जिससे सैकड़ों लोग अपने घरों में फंस गए। बूंदी जिले में स्थिति विशेष रूप से गंभीर रही, जहाँ नैनवां, केशोरायपाटन, कापरेन और रायथल जैसे इलाकों में जलमग्न गाँवों में फंसे करीब 500 लोगों को बचाने के लिए सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें दिन-रात जुटी रहीं। इन बचाव दलों ने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों और राहत शिविरों में पहुँचाया। बूंदी में बारिश से संबंधित हादसों में दो लोगों की मृत्यु की खबर ने माहौल को और दुखद बना दिया।

कोटा कलेक्टर पीयूष समारिया ने बताया कि दीगोद तहसील में बाढ़ की स्थिति में शनिवार को कुछ सुधार देखा गया, और अब हालात नियंत्रण में हैं। लोकसभा अध्यक्ष और कोटा-बूंदी सांसद ओम बिरला ने बूंदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों—केशोरायपाटन और कापरेन—का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। दीगोद में बचाव अभियान पूरा होने के बाद सेना को वहाँ से वापस बुला लिया गया है।

प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी बारिश ने व्यापक नुकसान पहुँचाया। बारां जिले में रातई बांध और बाणगंगा नदी उफान पर हैं, जिससे आसपास के गाँवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। टोंक के बीसलपुर बांध के छह गेट और कोटा बैराज के दो गेट खोलकर पानी की निकासी की जा रही है, लेकिन काली सिंध नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर होने से नदी किनारे बसे गाँवों में दहशत का माहौल है।

बारिश से हुए हादसे



 


भारी बारिश के कारण कई जिलों में दुर्घटनाएँ भी सामने आईं। अलवर में एक मकान ढहने से एक परिवार के सात लोग मलबे में दब गए। सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन एक बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है। दौसा में एक सरकारी संस्कृत स्कूल की छत की दो पट्टियाँ गिर गईं, जिससे स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। जयपुर में ऐतिहासिक आमेर महल से सटी एक दीवार ढह गई, जिसके बाद प्रशासन ने सुरक्षा के लिए क्षेत्र को सील कर दिया। करौली में एक युवक पानी के तेज बहाव में बह गया, जिसका अभी तक कोई सुराग नहीं मिला। सवाई माधोपुर में नाव पलटने की घटना में दस लोग डूब गए थे, जिनमें से नौ को बचा लिया गया, लेकिन एक व्यक्ति का शव शनिवार को बरामद हुआ।

बारिश ने यातायात व्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया। कोटा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे और कोटा-जयपुर राजमार्ग पर पानी भरने से आवाजाही पूरी तरह ठप रही। बूंदी में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक के नीचे मिट्टी खिसकने से कई ट्रेनों को रोकना पड़ा। रेलवे प्रशासन मरम्मत कार्य में जुटा है, लेकिन यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासनिक कदम और जनजीवन पर प्रभाव

प्रशासन ने बारिश और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए त्वरित कदम उठाए हैं। रविवार को होने वाली सूचना प्रौद्योगिकी की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। प्रदेश के नौ जिलों में स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों और जलमग्न क्षेत्रों से दूर रहने की अपील की है।

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