प्रदूषण पर मंडल का नरम रुख: डेढ़ साल की ढिलाई के बाद अब 30 दिन की 'आखिरी' मोहलत, हवा में घुलता रहा जहर

Update: 2025-08-10 07:40 GMT
प्रदूषण पर मंडल का नरम रुख: डेढ़ साल की ढिलाई के बाद अब 30 दिन की आखिरी मोहलत, हवा में घुलता रहा जहर
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भीलवाड़ा हलचल| भीलवाड़ा के बाशिंदों की सेहत पर औद्योगिक प्रदूषण का खतरा जस का तस मंडरा रहा है, और इसके लिए जिम्मेदार नियामक संस्था, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (RSPCB), का ढुलमुल रवैया सीधे तौर पर सवालों के घेरे में है। डेढ़ साल पहले जारी हुए सख्त आदेशों के बावजूद, जब प्रदूषण फैलाने वाली सभी इकाइयों में आधुनिक एयर बैग फिल्टर लगाना अनिवार्य किया गया था, आज भी कई उद्योग बेखौफ होकर जहरीला धुआं उगल रहे हैं। अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए मंडल ने अब एक बार फिर 30 दिन का अल्टीमेटम जारी किया है।


यह मामला मंडल की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व जब 29 औद्योगिक इकाइयों को चिह्नित कर नोटिस दिए गए थे, तब लगा था कि प्रदूषण के खिलाफ एक निर्णायक जंग शुरू हुई है। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात जैसा रहा। आंकड़ों के अनुसार, अब तक केवल 14 इकाइयों ने ही फिल्टर लगाए हैं। आठ इकाइयों में काम चलने का दावा किया जा रहा है, लेकिन सात इकाइयां ऐसी हैं जिन्होंने मंडल के आदेशों को रद्दी की टोकरी दिखाते हुए फिल्टर लगाने की प्रक्रिया शुरू तक नहीं की है।

जानकारों का मानना है कि अगर मंडल ने शुरुआत से ही सख्ती बरती होती, तो आज यह नौबत नहीं आती। इन सात इकाइयों का अब तक बिना किसी कार्रवाई के चलते रहना, मंडल के अधिकारियों की इच्छाशक्ति की कमी को साफ दर्शाता है। यह ढुलमुल रवैया न केवल प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगपतियों के हौसले बुलंद कर रहा है, बल्कि उन उद्यमियों को भी हतोत्साहित कर रहा है जिन्होंने लाखों रुपए खर्च कर समय पर नियमों का पालन किया।

अब, कुछ इकाइयों द्वारा बैंक गारंटी जमा कराकर फिल्टर लगाने का भरोसा दिलाया गया है, और शेष को एक महीने की अंतिम मोहलत दी गई है। लेकिन सवाल जस का तस है - क्या यह 'अंतिम मोहलत' वाकई अंतिम साबित होगी, या फिर यह भी पिछली समय-सीमाओं की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगी?

भीलवाड़ा की जनता की निगाहें अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अगले कदम पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि शहर की हवा साफ होगी या अधिकारियों के वादे एक बार फिर हवा-हवाई साबित होंगे।

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