चंद घंटे बाद होगा फैसला,: अबकी बार किसकी सरकार, , पढ़ें मतगणना से जुड़े हर सवाल के जवाब, प्रत्याशियों की बड़ी दिल धड़कन

Update: 2024-06-03 18:22 GMT

देश की बड़ी  पंचायत का फैसला 4 जून की सुबह होने जा रहा हे , प्रत्याशियों के दिलो की धड़कन तेज हो गई हे, और पार्टियों के आला नेता  सीटों की गणित  की जोड़ तोड़ में लेगे हे,  दावों और अफवाह  बाजी का दौर गर्म हे,  सुबह की 8 बजे की सुई का वेंट सभी को हे , प्रधानमंत्री पद पर एक बार फिर मोदी आसीन होगे ये भविष्यवाणी तो कई ज्योतिषी और कई  संत मंहत भी कर चुके हैं लेकिन राजनीतिक पंडित भी मोदी  मोदी ही कर रहे हे,  मंगलवार दोपहर तक साफ हो जाएगा की भाजपा चार सौ पार होती हे या फिर सट्टा बाजार का आकलन stik बैठता ही चार सौ से कम,। 

 लोकसभा चुनाव 2024, 7 चरणों में संपन्न कराए गए. जिसमें कुल 44 दिन लगे. इस बार 8360 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इन उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 4 जून को होना है. मतगणना के लिए देश भर के सभी मतगणना केंद्रों के अंदर और आसपास त्रि स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है. मतगणना केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और वीडियोग्राफी की व्यवस्था की गई है.

 बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को बताया कि लोकसभा चुनाव में 31.2 करोड़ महिलाओं समेत 64.2 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया. जिससे भारत ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है.

इतने मतदान और सुरक्षा कर्मियों को  लगाया गया था ड्यूटी पर

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी मतदान प्रक्रिया में 68,000 से अधिक निगरानी दल और डेढ़ करोड़ से अधिक मतदान तथा सुरक्षा कर्मी शामिल रहे. इसके अलावा करीब चार लाख वाहनों, 135 विशेष ट्रेनों और 1,692 उड़ानों का इस्तेमाल किया गया. 2024 के आम चुनाव में केवल 39 पुनर्मतदान हुए जबकि 2019 में 540 पुनर्मतदान हुए थे

सबसे अधिक मतदान  यहाँ हुआ

सीईसी ने बताया, जम्मू-कश्मीर में चार दशकों में सबसे अधिक मतदान हुआ- कुल मिलाकर 58.58 प्रतिशत और घाटी में 51.05 प्रतिशत. 2024 के चुनाव के दौरान नकदी, मुफ्त में बांटी जाने वाली वस्तुओं, ड्रग्स और शराब सहित 10,000 करोड़ रुपये की जब्ती की गई, जबकि 2019 में 3,500 करोड़ रुपये की जब्ती हुई थी.

यहा रहेगी नजर

7 चरणों में मतदान संपन्न होने के बाद अब सभी की निगाहें मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजों पर तो रहेंगी. लेकिन इसके साथ ही उन प्रमुख सीटों पर सभी की निगाहें जमी रहेंगी, जहां राजनीतिक क्षेत्र के कई दिग्गज मैदान में हैं. आइये उनक सीट के बारे में जानें.

पीएम नरेंद्र मोदी बनाम अजय राय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा है. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय से है. साल 2014 में मोदी ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराया था, जबकि 2019 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को पराजित किया था. कांग्रेस ने 2014 और 2019 में इस सीट से अपने उम्मीदवार अजय राय को मैदान में उतारा था. पीएम मोदी से पहले वाराणसी सीट का प्रतिनिधित्व बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी करते थे.

रायबरेली – राहुल गांधी बनाम दिनेश प्रताप सिंह

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार वायनाड के अलावा रायबरेली से भी चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह से है. राहुल गांधी अमेठी से तीन बार सांसद रहे हैं, लेकिन 2019 में उन्हें स्मृति ईरानी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था. राहुल गांधी की मां और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी वर्तमान में रायबरेली से सांसद हैं. हालांकि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस बार चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी. साल 1952 से लेकर अब हुए सभी चुनावों में सिर्फ तीन बार ही ऐसे मौके आए जब कांग्रेस को यहां से पराजय का सामना करना पड़ा. साल 1977 में यहां से जनता पार्टी ने जबकि 1996 और 1999 में बीजेपी ने जीत दर्ज की.

वायनाड – राहुल गांधी बनाम एनी राजा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का केरल के वायनाड से दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्य मुकाबला भाकपा नेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता एनी राजा से है. इस मुकाबले में लोगों की खासी दिलचस्पी देखी गई क्योंकि कांग्रेस और भाकपा दोनों ही ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक हैं. साल 2019 में, गांधी ने सीपीआई के पीपी सुनीर को 4.31 लाख वोटों से हराकर वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी.

अमेठी- स्मृति ईरानी बनाम किशोरी लाल शर्मा

गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी में पिछले दो लोकसभा चुनावों में कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. साल 2019 में राहुल गांधी से सीट छीनने वाली बीजेपी की स्मृति ईरानी इस निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी सहयोगी किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है. 25 साल में यह पहली बार है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ा.


उत्तर पूर्वी दिल्ली – कन्हैया कुमार और बीजेपी मनोज तिवारी के बीच मुकाबला

उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद मनोज तिवारी को फिर से मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को मुकाबले में उतारा है. दोनों ओर से जीत के दावे ठोके जा रहे हैं. 2009 में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश अग्रवाल जीते थे. उसके बाद 2014 में मनोज तिवारी ने शानदार जीत दर्ज की थी. 2019 में मनोज तिवारी को जीत मिली थी.

मंडी – कंगना रनौत बनाम विक्रमादित्य सिंह

मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने जहां विक्रमादित्य सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है. मंडी सीट हमेशा से कांग्रेस का कब्जा रहा है. हालांकि बीजेपी ने 1989, 1999 और 2014 में जीत दर्ज की थी. 2021 के उपचुनाव में विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह ने जीत दर्ज की थी.


हासन – प्रज्वल रेवन्ना के कारण इस सीट पर सबकी नजरें

हासन लोकसभा सीट से बीजेपी ने प्रज्वल रेवन्ना को चुनावी मैदान में उतारा है. लेकिन मतदान समाप्त होते ही उनपर सैकड़ों महिलाओं के यौन शोषण का आरोप लगा. फिलहाल प्रज्वल को गिरफ्तार कर लिया गया है.


हैदराबाद लोकसभा सीट – माधवी लता बनाम असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद लोकसभा सीट सबसे दिलचस्प हो गया है. यहां से बीजेपी ने माधवी लता को मैदान में उतारा है. जबकि उनके खिलाफ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी फिर से चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर पिछले 40 साल से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का कब्जा रहा है. माधवी लता के मैदान में आने से मुकाबला रोमांचक हो गया है. हर ओर बीजेपी की उम्मीदवार माधवी लता कोम्पेला की ही चर्चा हो रही है.

 

पाटलिपुत्र – मीशा भारती बनाम राम कृपाल यादव

पाटलिपुत्र सीट पर भी सबकी नजरें जमी हैं. इस सीट से बीजेपी ने राम कृपाल यादव को चुनाव लड़ाया है, तो आरजेडी ने यहां से मीसा भारती को मैदान में उतारा है. मीसा भारती आरजेडी अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं. इस सीट से लगातार दो बार से राम कृपाल यादव ने जीत दर्ज की है. 2019 में राम कृपाल यादव ने मीसा भारती को हराया था.

काराकाट- उपेंद्र कुशवाहा बनाम पवन सिंह

भोजपुरी के जानेमाने सिंगर और कलाकार पवन सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से काराकाट काफी फेमस हो गया है. यहां से पवन सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. जबकि राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पवन सिंह को बीजेपी ने अपनी टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था और उन्हें टिकट मिल भी गई थी. लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया था. हालांकि अंतिम समय में उन्होंने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया.

मतगणना की पूरी प्रक्रिया यहां देखें

निर्वाचन संचालन नियमावली 1961 के नियम 54ए के तहत निर्वाचन अधिकारी (आरओ) की टेबल पर सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की जाती है.

केवल उन्हीं डाक मत्रों की गिनती होगी जो आरओ के पास मतों की गिनती शुरू होने की तय समय सीमा से पहले चुके हैं.

डाक मत पत्रों की गिनती शुरू होने के 30 मिनट के बाद ईवीएम के जरिये डाले गए मतों की गिनती शुरू की जानी चाहिए.

अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में कोई डाक मतपत्र नहीं है तो ईवीएम के जरिये डाले गए मतों की गिनती शुरू की जा सकती है.

मतगणना केंद्र पर मतों की गिनती के लिए फॉर्म 17सी के साथ ईवीएम की केवल कंट्रोल यूनिट (सीयू) का इस्तेमाल किया जाता है.

ईवीएम के सीयू से परिणाम सुनिश्चित करने से पहले, मतगणना अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उन पर लगी पेपर सील बरकरार है और डाले गए कुल मत फॉर्म 17सी में उल्लिखित मतों से मेल खाते हैं.

सीयू का परिणाम, गणना पर्यवेक्षक, सूक्ष्म पर्यवेक्षक और अभ्यर्थियों के गणना एजेंटों को दिखाने के बाद, फार्म 17सी के भाग-II में दर्ज किया जाएगा.

सीयू में नतीजे प्रदर्शित नहीं होने की स्थिति में सभी सीयू में दर्ज मतों की गिनती के बाद संबंधित सीयू के वीवीपैट की पर्ची की गिनती की जाएगी.

प्रत्येक सीयू का उम्मीदवार वार परिणाम फार्म 17सी के भाग II में दर्ज किया जाएगा तथा मतगणना पर्यवेक्षक और मतगणना टेबल पर उपस्थित उम्मीदवारों के मतगणना एजेंट द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.

प्रत्येक मतदान केन्द्र का फार्म 17सी उस अधिकारी को भेजा जाना चाहिए जो फार्म 20 में अंतिम परिणाम पत्रक संकलित कर रहा है.

वीवीपैट पर्चियों की गिनती सीयू में दर्ज मतों की गिनती पूरी होने के बाद की जानी चाहिए.

वीवीपैट से अनिवार्य सत्यापन की प्रक्रिया के तहत संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से यादृच्छिकता के आधार पर पांच मतदान केंद्रों को चुना जाएगा और यह मतों की गिनती की प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगी.

अगर जीत का अंतर अस्वीकृत डाक मतपत्रों से कम है तो उस स्थिति में अंतिम नतीजे घोषित किए जाने से पहले खारिज किए डाक मतपत्रों को अनिवार्य रूप से दोबारा सत्यापित किया जाएगा.

अगर शीर्ष दो उम्मीदवारों को समान मत मिलते हैं तो उस स्थिति में नतीजे लॉटरी के आधार पर घोषित किए जाएंगे.

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