वासना त्याग कर उपासना करें कथा वाचक चतुर्वेदी

Update: 2024-10-09 17:55 GMT


आकोला (रमेश चंद्र डाड)कस्बे में बुधवार को देवनारायण मंदिर प्रांगण में चल रही संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथावाचक पंडित दुर्गेश चतुर्वेदी ने गजेंद्र मोक्ष प्रसंग में बताया की जीव संसार सागर में संतान स्त्री सहित क्रीडा करता रहता है। जिस संसार में जीव खेलता है । इस संसार में उसका काल भी निवास करता है। संसार में जो काम सुख का उपभोग करता है। उसे काल मारता है। मनुष्य सोचता है कि वह काम सुख का उपभोग कर रहा है पर सच तो यह है की कम मनुष्य का उपभोग करके उसे पल-पल खा कर रहा है। मगर ने हाथी का पांव पकड़ कल जब आता है तो पांव की शक्ति को क्षीण कर देता है पांव रुकने लगे तब समझ जाना चाहिए की काल समीप आ गया है। काल के मुख से वही छूटेगा जिसकी उपासना मजबूत है। सागर मंथन के प्रसंग में सद्गुण और अवगुण मिलकर मन का मंथन करते हैं । विषय रूपी विकार मन से बाहर निकल आते हैं। जिसके मन से विषय विकार निकल जाते हैं ।उसी को फिर 14 रत्न की प्राप्ति होती है। वामन अवतार की कथा सुनाते हुए बताया राजा बलि की तरह बलवान बनोगे तो ही भगवान मिलेंगे जिसका ब्रह्मचर्य भंग होता है वह महान नहीं बन सकता । ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले को नारी के मुख और बाल को ओर गौर से नहीं देखना चाहिए। यह नारी की निंदा नहीं है जगत में जितने भी महापुरुष हुए हैं। उन्होंने पर नारी को माता मान लिया। स्वामी विवेकानंद राम के छोटे भाई लक्ष्मण आदि ने पर नारी को माता का दर्जा दिया वह सब महान कहलाए। जिसकी दृष्टि बिगड़ती है, उसकी सृष्टि बिगड़ जाती है ।जिसके मन में काम है उसे सर्वत्र काम ही दिखाई देगा। जब तक काम रूपी रावण मर नहीं जाता तब तक मन में भगवान कृष्ण उतर नहीं आते । इसीलिए मनुष्य को पहले राम की सेवा करनी चाहिए उनकी मर्यादा का पालन करना चाहिए मर्यादा का पालन करोगे तो ही राम मिलेंगे राम मिलेंगे तभी घनश्याम मिलेंगे भगवान श्री कृष्ण के अवतार प्रसंग में कंस की अत्याचारों से व्यथित होकर धरती ने भगवान से प्रार्थना की और माता देवकी के गर्भ में भगवान पधारे कंस की जेल में जन्म लेकर भगवान नंद बाबा के आंगन में गोकुल गांव पहुंचे भव्य उत्साह मनाया । बालकृष्ण भगवान की सुंदर झांकी सजाई गई अक्षत चतुर्वेदी ने नंद के आनंद भयो भजन गया सभी श्रोता झूम कर नाच उठे।

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