समय और तूफान किसी का इंतजार नही करते-जिनेन्द्रमुनि मसा*

By :  vijay
Update: 2024-10-22 08:15 GMT

गोगुन्दा श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रवकसंघ के तत्वाधान में आयोजित सभा मे जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि दिन और रात्रियां उन्ही की सार्थक है,जिन्होंने अपने आपको धर्म साधना में लगा दिया।जो लोग अधर्म में समय को बर्बाद कर देते है,उनका जीवन निरर्थक है।समय को निरर्थक रूप से व्यतीत नही करना विवेक सम्मत दृष्टिकोण है।समय पर कार्य करने पर सफलता मिलती है।समय को साधना जरूरी है।मुनि ने कहा कि कल्पना में मत उलझो।ज्ञानीजनों ने मोह की निंदा में सुषुप्त चेतनाओं को जागृत करते हुए बार बार कहा है कि प्राप्त समय के महत्व को ठीक तरह से समझो और इसका उपयोग ठीक तरह से करो।समय को दुर्व्यसनों में,विकथाओ में,गपशप में,ताश शतरंज आदि खेलने में ,अश्लील सिनेमा नाटक आदि देखने मे और इसी तरह से अकरणीय कार्यो में नष्ट कर देना जबरदस्त भूल है।मुनि ने कहा कि जो यह बहाना करते है कि समय नही है उन्हें निरर्थक कार्यो को करने में समय केसे मिल जाता है?वे इस तथ्य को कैसे भूल जाते है कि निरर्थक प्रवृतियों में समय नष्ट करने का अभिप्राय मूल्यवान जीवन को नष्ट करना है?संत ने कहा इधर उधर की निरर्थक चर्चाओं एवं प्रवृतियों में आखिर व्यक्ति को मिलता क्या है?जो लोग यो ही मंडली एकत्रित करके तेरी मेरी किया करते है या यु ही तमाशो में अपने समय को नष्ट करते है,वे दुर्भाग्य को ही आमंत्रित करते है।व्यवहारिक क्षेत्र में ऐसे लोग आम जन मानस की दृष्टि में अविश्वसनीय होते है।प्रमादचरण किसी भी दृष्टि से उचित नही है।असावधानी,अविवेक एवं निष्क्रियता में कभी समय को नष्ट नही करना चाहिए।ज्ञानीजन वे है जो कभी प्रमाद नही करते।प्रवीण मुनि ने कहा शुभ कार्यो में विलंब का अर्थ महत्वपूर्ण उपलब्धियों से स्वयं को हमेशा के लिए वंचित रखना है।व्यक्ति को चाहिए कि अच्छे कार्यों में कभी भी विलम्ब न करे। विलम्ब अगर करना है तो शुभ कार्यो में करना चाहिए।रितेश मुनि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए समय को ही महत्व दिया।मुनि ने कहा समय को रत्नों से भी अधिक मूल्यवान कहा गया है।समय के रत्नों को खो कर दरिद्र मत बनिये।समय जीवन मे अपना अनूठा महत्व रखता है।समय का सम्मान करना सीखिये।यदि आप समय का सम्मान करते हैं तो निश्चित रूप से समय भी आपका सम्मान करेगा।समय का जो अपमान करते है,उन्हें अपमानित होना पड़ता है। वस्तुतः समय का सम्मान उन्नति का सोपान है।*कर लिया सो काम भज लिया सो राम*!नियत निर्धारित समय पर जो कार्य तत्प्रतापूर्वक कर लिया जाता है,तो सफलता सुनिश्चित है।प्रभातमुनि ने कहा मानव की विलासप्रियता का एक चित्र जिसमे मानवता के दर्शन नही हो पाते।आज विलास प्रधान साधनों को अधिका अधिक महत्व दिया जा रहा है।यही कारण है कि मानव के जीवन मे भ्रष्टाचार की दुर्गन्ध दिन ब दिन अधिक फैल रही है।

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