बाबा गंगाराम साहब की 28वीं वार्षिक वर्सी मनाई
भीलवाड़ा | हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में आराध्य सतगुरूओं के चार दिवसीय वार्षिक उत्सव का समापन हुआ। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने भजन मीत चलो गुर चाली, जो गुर कहे सो ही भल मानी प्रस्तुत करते हुए गुरू के वचनों का अनुसरण करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने भजन कियं चवां मरी वयस द्वारा यह संदेश दिया कि संत महापुरूष कभी मरते नहीं है अपितु वे केवल इस नश्वर शरीर को त्याग देते है, परन्तु वे सदैव अपनी निशानियों के रूप में उपस्थित रहकर अपने भक्तों की रक्षा करते है। उन्होंने सदैव सेवा-सुमिरन करते रहने पर बल दिया।
वार्षिकोत्सव के अन्तिम दिन बाबा गंगाराम साहब जी की 28वीं वार्षिक वर्सी 9/7/24 मंगलवार को हर्षोल्लास और आनंदपूर्वक मनाई गई। प्रातःकाल श्रद्धालुओं ने सिद्धो की समाधियों, धूणा साहब, आसण साहब, झण्डा साहब , हरि सिद्धेश्वर मंदिर पर पूजन अर्चन कर शीश निवाया। हवन यज्ञ होकर संतो महात्माओं के सत्संग प्रवचन हुए। चंद्र मात्रा साहब वाणी का वाचन हुआ। ठाकुर जी को प्रसाद का भोग लगाया गया। चन्द्र सिद्धांत सागर का पाठ पूर्ण होने पर भोग साहब पड़ा। अन्नपूर्णा रथ से निराश्रितों को प्रसाद वितरण हुआ। संतो महात्माओं का भंडारा एवं आम भंडारा (समष्टि लंगर) हुआ। संतना के संत खिम्यादास ने कहा कि संत परमात्मा और जीव के मध्य वकील की तरह है जो हमारा पक्ष ईश्वर के समक्ष रखते है। इन्दौर के संत गुरचरणदास ने कहा कि जब मनुष्य के पुण्य उदित होते है तो उसे संतो का दर्शन प्राप्त होता है। इस अवसर पर बाहर से पधारे हुए अजमेर के महंत स्वरूपदास उदासीन, पुष्कर के महंत हनुमानराम उदासीन, किशनगढ़ के महंत श्यामदास, गांधीधाम के संत दर्शनदास, सतना के स्वामी खिम्यादास, भावनगर के दीपक नंदलाल फकीर, रीवा के संत हंसदास, सतना के संत ओम ईश्वरदास, साई प्रहलाद, महाराष्ट्र कारन्जा के साई श्रवण, उल्लासनगर के ईश्वरदास अर्जुनदास, राजकोट के स्वामी अमरलाल, इन्दौर के स्वामी माधव दास, स्वामी गुरुचरण दास, स्वामी मोहनदास संत संतदास, भीलवाड़ा के महंत गणेशदास, अजमेर के स्वामी ईश्वरदास, स्वामी अर्जुनदास, स्वामी आत्मदास सहित अनेक महापुरूषो तथा उदासीन निर्वाण मण्डल के अनेक संत महात्माओं ने संगत को दर्शन लाभ प्रदान किया। संत मयाराम, संत राजाराम, संत गोविन्दराम, बालक इंद्रदेव, कुणाल, सिद्धार्थ, मिहिर ने भजन एवं नाम धूनी लगा कर गुरूओं का गुणगान किया। संतो महापुरुषों के प्रवचन सत्संग होकर प्रार्थना हुई। साँयकाल में नितनेम के साथ ही सतगुरु की समाधि साहब, आसण साहब पर श्रद्धालुओं ने चादर वस्त्र अर्पित किए। पल्लव प्रार्थना कर चार दिवसीय कार्यक्रम को विश्राम दिया गया। बाहर से आए हुए सांस्कृतिक कलाकारों एवं भजन गायकों द्वारा सांस्कृतिक एवं सूफी भजन प्रस्तुत किए। इस वार्षिक उत्सव में देश-विदेश से अनेक श्रद्धालुगण भक्तो ने सतगुरु दर पर शीश निवाया। सनातन धर्म, राष्ट्र एवं सर्वजन की खुशहाली मंगलमय जीवन की कामना की गई।