भीलवाड़ा। शरद पूर्णिमा के अवसर पर भीलवाड़ा शहर के मंदिरों में खीर का भोग लगाया जाएगा। मध्य रात्रि में खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखा जाएगा और उसके बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। शरद पूर्णिमा अवसर के अवसर पर होने वाले इस आयोजन को लेकर विभिन्न मंदिरों में तैयारियां की जा रही है।
शहर में मुख्य डाकघर के पास स्थित श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर पर सोमवार को शरद पूर्णिमा पर्व उत्साह व भक्तिभाव के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर के महंत बाबूगिरी महाराज के सानिध्य में मंदिर में हनुमानजी महाराज की प्रतिमा पर विशेष श्रृंगार के साथ मध्य रात्रि में विशेष आरती के बाद खीर प्रसाद का भोग लगाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा पर 300 लीटर दूध की खीर तैयार की जाएगी। मध्यरात्रि 12 बजे आरती के बाद भगवान को भोग लगा खीर का प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा। आयोजन से जुड़ी तैयारियां की जा रही है। श्रद्धालुओं में इस आयोजन को लेकर उत्साह का माहौल है।
सांगानेर गेट स्थित दूधाधारी गोपाल मंदिर के पर शरद पूर्णिमा पर्व उत्साह व भक्तिभाव के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर के पंडित कल्याण शर्मा के सानिध्य में मंदिर में राधा गोपाल प्रभु का श्वेत वस्त्र का विशेष शृंगार के साथ मध्य रात्रि में विशेष आरती के बाद खीर प्रसाद का भोग लगाया जाएगा। पंडित कल्याण शर्मा ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर दूध की खीर तैयार की जाएगी। मध्यरात्रि 12 बजे आरती के बाद भगवान को भोग लगा खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।
रेलवे स्टेशन स्थित हठीले हनुमान मंदिर के पुजारी बालकिशन शर्मा ने बताया कि पांच सौ किलो खीर का बालाजी को भोग लगाया जाएगा। इस मौके पर विशेष चोला भी चढाया जाएगा। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्र रिको में पंचमुखी बालाजी में भी शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, पांसल रोड स्थित शिव मंदिर में भी खीर प्रसाद का भोग लगाया जाएगा।
कोटडी चारभुजा मंदिर ट्रस्ट के सुदर्शन गाडोदिया ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चारभुजाजी को खीर प्रसाद का भोग लगाया जाएगा और बाद में भक्तों को वितरीत किया जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रदेव 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं. यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से उसमें अमृत वर्षा होती है और अगले दिन इस खीर को खाने से न सिर्फ आपको सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है, बल्कि खीर के चमत्कारिक प्रभाव से आपके कई रोग दूर हो जाते हैं।इसके अलावा शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन धन के देवी मां लच्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं। इसके साथ ही द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महारास किया था और इससे प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है। मां लक्ष्मी को भी मखाने और दूध से बनी खीर बेहद प्रिय है। यह भी एक वजह है कि शरद पूर्णिमा यानी कि मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव पर उनकी प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
