माण्डल में परम्परागत कृषि विकास योजना कृषक प्रशिक्षण शिविर आयोजित, जैविक खेती पर दिया जोर

Update: 2025-12-08 11:17 GMT

 भीलवाड़ा के माण्डल की तालाब पर आयोजित कृषक गोष्ठी को सम्बोधित करते कृषि अधिकारी

भीलवाड़ा । कृषि विभाग के तत्वाधान में परम्परागत कृषि विकास योजनान्तर्गत कृषक प्रशिक्षण शिविर का माण्डल तालाब की पाल पर सोमवार को आयोजन किया गया जिसमें जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया।

एग्री क्लिनिक एवं मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के कृषि अनुसंधान अधिकारी जीतराम चौधरी ने कहा क‍ि परम्परागत कृषि विकास योजना कृषकों के लिए लाभदायक है, आज मृदा की उर्वरा शक्ति कमजोर होने के कारण उसमें जैविक घटकों की कमी आ रही है, अन्धाधुध रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मृदा की उत्पादकता में भी कमी आई है, एवं मानव स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है, जिससे गम्भीर बीमारियों से ग्रसित होने से आर्थिक एवं शारीरिक नुकसान होता है, अतः केन्द्र सरकार की और लगातार तीन वर्षो तक कृषक को प्रति वर्ष 5 हजार रुपयें प्रति हैक्टर का अनुदान दिया जायेगा। कृषि के लिए लाभदायक जीवों की पहचान कर उनकों क्षति नही पहुंचायें, फैरोमैन ट्रेप का कृषक अधिक से अधिक उपयोग करें, रासायनिक कीटनाशनकों के स्थान पर जैव कीटनाशी का प्रयोग करें।

कृषि अधिकारी प्रियंका पारीक ने कहा कि आज के समय की आवश्यकता है कि हम जैविक खेती को अपनाएँ एवं जैविक खेती के माध्यम से बीजमृत, जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, दश पर्णी, आदि बहु फसल प्रणाली, बायोमास आधारित मल्चिंग, पारंपरिक बीजो का उपयोग,खेत का बफर जोन इत्यादि का उपयोग करे, कृषि अधिकारी कजोड़ मल गुर्जर ने कहा कि रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर देशी गाय के गोबर, गो मूत्र व नीम आदि का उपयोग करने से खर्च में कमी आयेगी, टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और कम लागत की खेती को बढ़ावा देना है।

मृदा की जांच के आधार पर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करे,अपने से भी खेती की लागत कम करके किसानों की आय में वृद्धि कर सकते है, सहायक कृषि अधिकारी रतन लाल शर्मा ने कृषको को शपथ दिलाई,इस अवसर पर सेवा निवृत संयुक्त निदेशक राधेश्याम शर्मा, पंकज पालीवाल, कुलदीप सैन, नारायण मीणा,शंकर भारती,देवी लाल तेली, श्याम माटोलिया अजीज मोहम्मद, माजिद मोहम्मद, मांगी लाल सहित अनेक प्रगतिशील कृषक मौजूद थे।

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