स्वयं को बदलने से आत्मा का कल्याण होगा: साध्वी डॉ. संयमलता
आसींद। सत्कर्म ऐसा कीजिए कि आपको दुनिया याद करे। संसार परिवर्तन का नियम है। स्वयं को बदलने का कार्य करे तभी आत्मा का कल्याण होगा। जिंदगी को आध्यात्म की तरफ मोड़कर अपने परिवार समाज में धार्मिक चेतना जागृत करे उक्त विचार नववर्ष की शुभबेला पर श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया दक्षिण चंद्रिका साध्वी डॉ संयमलता ने महामंगल पाठ सुनाने के पश्चात व्यक्त किए।
साध्वी डॉ संयमलता के साथ विराजित साध्वी डॉ. अमित प्रज्ञा, डॉ.कमल प्रज्ञा, सौरभ प्रज्ञा ने बीजाक्षरी अनूपुर्वी का महामंगलकारी अनुष्ठान एवं महामंगलिक श्रद्धालुओं को प्रदान किया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा कि जो व्यवहार हमें पसन्द नहीं, वैसा हम दूसरों के साथ कदापि न करें। आत्मा का निज स्वभाव 'ज्ञाता-दृष्टा' है।
शरीर तो खून, हाड, मांस, मल-मूत्र, का थैला है। वह जल से शुद्ध नहीं हो सकता। धर्म जल से शुद्ध हो सकता है। धर्म वह वाशिंग पावडर है, जो आत्मा की मलिनता दूर करता है। जो लोग शरीर और आत्मा का भेद जान लेते हैं, वे आत्म साधना के माध्यम से अपना आत्म कल्याण करके जन्म और मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। शरीर तो नश्वर है, लेकिन इस नश्वर में एक जिनेश्वर (आत्मा) है, जो अनश्वर है, उसे पाना है, उस तक पहुँचना है, यही मनुष्य का ध्येय है। बिजयनगर , आसींद , उदयपुर , भिवंडी, पनवेल, बारडोली, सूरत, डोंबिवली, शंभूगढ़,करेड़ा, दौलतगढ़, चैनपुरा, अहमदाबाद, बैंगलोर,चित्तौड़गढ़ आदि नगरो से श्रद्धालु उपस्थित रहें। सम्पूर्ण कार्यक्रम का लाभ बदनोर निवासी ललित कुमार सुनील कुमार मुकेश कुमार गौखरू परिवार ने लिया। साध्वी मंडल के मंगल प्रवेश पर कस्बे के प्रमुख मार्गो पर स्वागत द्वारा एवं बैनर, कट आउट आदि लगाकर भव्य स्वागत किया। मुस्लिम समाज द्वारा भी सामाजिक एकता व अखंडता का परिचय देकर साध्वी मंडल का स्वागत किया एवं आर्टिस्ट अमजद खान द्वारा हस्त निर्मित सम्मेद शिखर जी की आर्ट भेंट की गई। बदनोर संघ के पदाधिकारियों ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया।