जीवन वो ही सही है जिसकी दृष्टि सही है: साध्वी डॉ. लता

By :  vijay
Update: 2025-01-04 11:12 GMT

आसींद, (सुरेन्द्र संचेती) श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, बदनोर के तत्वाधान में श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय महासाध्वी डॉ संयमलता म.सा, डॉ अमित प्रज्ञा म.सा, डॉ कमलप्रज्ञा म.सा, सौरभ प्रज्ञा म.सा आदि ठाणा 4 के सानिध्य में धर्मसभा को संबोधित करते हुये महासती संयमलता ने कहा कि आप कहाँ हो यह महत्वपूर्ण नहीं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि आपकी दृष्टि कहां पर है? व्यक्ति का अपना स्वयं का जैसा दृष्टिकोण होता है वैसी ही धारणा वह दूसरों के लिये भी बना लेता है। जब दृष्टि बाहर की ओर होती है तो बाहरी पदार्थों में, साधनों में, सुविधाओं में सुख नजर आता है। गाड़ी वही सही जिसका ब्रेक सही है, जीवन वही सही जिसकी दृष्टि सही है। चेहरा सुन्दर है पर दृष्टि सुंदर नहीं तो उसका जीवन सार्थक नहीं बन सकता । मनुष्य स्वभाव की दो कमजोरी है,पाप के क्षेत्र में करने से नही डरता है, कहने से डरता है और धर्म के क्षेत्र में कहने से नहीं डरता है, करने से डरता है। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने कहा कि जीवन को बेहतरीन बनाने के लिए अपनी सोच को सकारात्मक रखें, अपने मन को पवित्र मंदिर की तरह निर्मल रखें, अपनी दृष्टि को निर्मल रखें क्योंकि नजर बदलते ही नजारे बदल जाते हैं एवं अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। बदनोर संघ ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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