मधुर वाणी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गरिमा लाती है: महासती डॉ.संयम लता

Update: 2025-01-23 10:36 GMT

आसींद । वाणी हमेशा ऐसी बोलनी चाहिए कि जो सामने वाले को सुनने से अच्छा लगे और उन्हें आनन्द की अनुभूति हो और साथ में स्वयं को भी आनंद का अनुभव हो। वाणी की मधुरता से दुश्मन भी दोस्त बन जाता है। वाणी पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। वाणी कहा पर बोले, कितना बोले, कैसे बोले, कम बोले तो सभी की नजरों में अच्छे बने रहोगे। एक शब्द औषध का काम करता है वहीं एक कठोर शब्द घाव का काम करता है। जब भी बोले नपे तुले शब्दों में बोले। मधुर वाणी बोलने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में गरिमा आती है और वह समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। उक्त विचार दक्षिण चंद्रिका महासती डॉ. संयम लता ने पुरानी पड़ासोली जैन स्थानक में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।

महासती ने कहा कि मधुर वाणी से व्यक्तिगत संबंध मजबूत होते है, मन की कड़वाहट दूर होती है, सामाजिक समरसता बनी रहती है,किसी भी कठिनाई का सामना आसानी से किया जा सकता है। वाणी की मधुरता हृदय का द्वार खोलने की कुंजी है। महासती ने महा मांगलिक अनुष्ठान करवाकर परमात्मा से विश्व शांति की कामना की। इस अवसर पर श्री मति कमला कोठारी, भंवर लाल , चंद्र सिंह, प्रकाश कोठारी की तरफ से प्रभावना एवं गौतम प्रसादी रखी गई तथा जरूरत मंद छात्रों को 500 टी शर्ट वितरण किए गए। धर्मसभा में आसींद, बदनोर, जगपुरा, आंकड़सादा, शंभूगढ़, दौलतगढ़ सहित आस पास के सैकड़ों श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे। महासती शुक्रवार को प्रातः पुरानी पड़ासोली से विहार कर जगपुरा अल्प विश्राम कर शंभूगढ़ पधारेंगे वहां पर दोपहर 3 से 4 बजे तक मंगल अनुष्ठान एवं प्रवचन आयोजित होगा। पुरानी पड़ासोली संघ के वरिष्ठ श्रावक भंवर लाल कोठारी, शांति लाल संचेती ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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