आसींद नगर पालिका पार्षद चौहान की पहल के बाद जारी किए पट्टा निरस्त करने के आदेश

आसींद :- कस्बे के महावीर विश्रांति गृह के निजी व व्यवसाय के उपयोग मामले में गुरुवार को आसींद नगर पालिका ने पट्टा निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए l
जानकारी के अनुसार 22 अप्रैल को आसींद नगर पालिका के पार्षद सत्येंद्र सिंह चौहान के द्वारा कस्बे में स्थित महावीर विश्रांति गृह जो कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मरीजों के परिजनों के ठहरने को लेकर वर्ष 2001 में राज्य सरकार द्वारा भूखंड अलॉटमेंट के साथ ही विभिन्न संस्थाओं से अनुदान से भवन निर्माण कराया गया था l लेकिन इस भवन का उपयोग जनसेवार्थ नहीं होकर निजी व व्यावसायिक उपयोग को लेकर उपखंड प्रशासन को लिखित में शिकायत प्रस्तुत की गई थी l
तथा इसके साथ ही 28 अप्रैल को जिला कलेक्टर भीलवाड़ा के आसींद में जनसुनवाई के दौरान इस शिकायत के निवारण के लिए एक कमेटी का गठन कर संबंधित मामले की जांच के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देशों के बाद गठित कमेटी आसींद तहसीलदार,ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी व अधिशासी अधिकारी द्वारा सयुक्त रिपोर्ट तैयार कर 27 अप्रैल को उपखंड अधिकारी आसींद को सौंप दी गई l
जांच कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में महावीर विश्रांति गृह के निजी व व्यवसायिक उपयोग में होना सिद्ध हुआ l
17 मई से अध्यक्ष महावीर इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट आसींद को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73 बी के अंतर्गत कार्रवाई करने से पूर्व के संबंध में सुनवाई का अवसर दिया गया
अप्रार्थी द्वारा उक्त के संबंध में अंदर मियाद अवधि में तक कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए थे
जांच कमेटी द्वारा मौका निरीक्षण में मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के ठहरने हेतु व्यवस्था नहीं पाई गई तथा मौके पर किसी तरह के रजिस्टर में आने जाने वालों की सूची तैयार नहीं थी तथा धर्मशाला में ठहरने की कोई रसीद को या इंद्राज नहीं पाया गया lमौके पर भवन पर ताला था एवं कोई जिम्मेदार व्यक्ति या मैनेजर उपस्थित नहीं था l ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2003 में भवन निर्माण की स्वीकृति ली थी परंतु उक्त स्वीकृति को मंडल की बैठक में अनुमोदन नहीं करवाया था l जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73 के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पेट को निरस्त करने के आदेश जारी किएगए तथा महावीर इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट को अपनी जारी लीज डीड दिनांक 13 दिसंबर 2002 को निरस्त कर दिया गया