संसार में अशांति का मूल कारण लोभ है: धैर्य मुनि
आसींद क्रोध, मान, माया और लोभ यह चारों कषाय दुनिया में अशांति के कारण है। जिसमें सबसे अधिक अशांत लोभ कषाय है। लोभ से बचने के लिए जीवन में संतोष का धारण करना जरूरी है। संतोषी व्यक्ति अपने जीवन में सदसुखी रहता है। लोभ के कारण आज भाई-भाई का रिश्ता, पिता - पुत्र का रिश्ता, भाई- बहिन का रिश्ता टूट जाता है या दरारें आ जाती है। धोखाधड़ी, बेईमानी, जुआ इन सबके पीछे मूल कारण लोभ है। लोभी व्यक्ति पूरे जीवन लोभ लोभ करके ही मर जाता है। कोई भी व्यक्ति अपने साथ धन दौलत लेकर नहीं जाता है यह सब यही पर रह जाते है, साथ में अगर कोई जाएगा तो वह है धर्म।उक्त विचार नवदीक्षित संत धैर्य मुनि ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
मुनि ने कहा कि संसार में जितने घोर होते है वह लोभ के कारण ही होते है।लालच अर्थात लोभ के चक्कर में फंसकर भोले प्राणी अपना धन वैभव खो बैठते है इतना ही नहीं कभी कभी तो अपनी जान तक दे दिया करते है। मछली आटे के लोभ में आकर अपना गला फंसा देती है। पक्षी दाना चुग़ने के लोभ में आकर जाल में फंस जाता है और अपने प्राण दे बैठते है। इसीलिए लोभ को पाप का बाप कहा है। इन चारों कषायो से जिसने भी अपना पीछा छुड़ाया वह जीत गया है अन्यथा हार ही है।
प्रवर्तिनी डॉ दर्शन लता ने कहा कि व्यक्ति को स्मार्ट बनने के लिए किसी वस्तु की जरूरत नहीं है अपने विचारों में परिवर्तन लाकर स्मार्ट बना जा सकता है। स्मार्ट दो तरह के होते है एक लौकिक स्मार्ट जो सांसारिक क्षेत्र में रहकर जीवन को परिवर्तित करे दूसरा अलौकिक स्मार्ट जो ज्ञान, विनय, विवेक और आचरण से स्वयं को परिवर्तित करे। व्यक्ति स्वयं के आचरण में परिवर्तित कर अपने जीवन को सफल बना सकता है। धर्मसभा में साध्वी प्रज्ञालता ने सम्यक ज्ञान पर प्रकाश डाला। आगामी 30 - 31अगस्त को जिनवाणी ज्योति शिविर का आयोजन किया जायेगा जिसमें बहु बेटी मंडल का गठन किया जायेगा। धर्मसभा में बाहर से आने वाले आगंतुकों का संघ के सहमंत्री विनोद खाब्या ने आभार व्यक्त किया।