सच्ची भक्ति और दृढ़ संकल्प से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है- महंत शास्त्री

भीलवाड़ा BHN.श्री निबार्क पारमार्थिक सेवा ट्रस्ट एवं ओम शान्ति सेवा संस्थान वृद्धाश्रम के तत्वावधान में मंगरोप रोड स्थित ओम शान्ति सेवा संस्थान वृद्धाश्रम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिन निंबार्क आश्रम के महंत मोहन शरण शास्त्री ने ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र, प्रहलाद चरित्र, और वामन जयन्ती प्रसंग का वर्णन किया। ध्रुव चरित्र का व्याख्यान करते हुए महंत ने भक्ति और अटूट विश्वास की शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने बालक ध्रुव की घोर तपस्या और भगवान विष्णु के दर्शन प्राप्त करने की कथा को विस्तार से सुनाया, जिससे श्रोताओं को यह प्रेरणा मिली कि सच्ची भक्ति और दृढ़ संकल्प से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। इसके पश्चात, उन्होंने भरत चरित्र का वर्णन किया, जिसमें राजा भरत के उत्कृष्ट त्याग और भगवान के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाया गया। इस प्रसंग के माध्यम से सांसारिक आसक्तियों से विरक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने का महत्व स्पष्ट किया गया। प्रहलाद चरित्र का व्याख्यान भक्ति और भगवान की कृपा का एक शक्तिशाली उदाहरण था। महंत मोहन शरण शास्त्री ने हिरण्यकशिपु के अत्याचारों के बावजूद प्रहलाद की अटूट भक्ति और भगवान नरसिंह के अद्भुत प्राकट्य की कथा को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे यह संदेश मिला कि भगवान सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। अंत में, वामन जयन्ती के प्रसंग का वर्णन किया गया, जिसमें भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा बलि के महान दान की कथा सुनाई गई। यह प्रसंग दान, त्याग और भगवान की सर्वव्यापकता के सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है। कथा के बीच-बीच में प्रस्तुत किए गए भक्तिमय भजनों पर उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर होकर भक्ति रस में डूबते हुए नृत्य करने लगे। कथा के दौरान प्रसंग पर आधारित विभिन्न झांकियां सजाई गई जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही। आयोजन समिति के विपिन दीक्षित ने बताया कि आगे के दिनों में मत्स्यवतार, च्यवन प्रसंग, अम्बरीश चरित्र, रामावतार कृष्णा जन्म नन्दोत्सव, श्री कृष्ण बाललीला, माखन चोरी लीला, वेणु गीत छप्पन भोग, गोवर्धन पूजा, महारास, गोपी गीत प्रसंग, कंस मर्दन, रूकमणी मंगल, सुदामा चरित्र और फूलों की होली जैसे प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। कृष्ण जन्मोत्सव पर पीत वस्त्र एवं रूकमणी विवाह के दिन लाल वस्त्र पहनकर शामिल होने का अनुरोध किया गया है। यह कथा 29 अप्रैल तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलेगी।