भीलवाड़ा। समाज को प्रेरणा देने वाले जनकवि रतन कुमार दुगड़ 'चटुल' अब हमारे बीच नहीं रहे। शास्त्री नगर निवासी 'चटुल' का स्वर्गवास सोमवार रात को हो गया।
उनकी अंतिम यात्रा मंगलवार सुबह 11 बजे शास्त्री नगर स्थित उनके निवास स्थान से मोक्षधाम के लिए प्रस्थान हुई, जहां उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। उनके निधन से जैन समाज, दुगड़ परिवार और समूचा भीलवाड़ा शोक में डूबा हुआ है। शहर ने एक ऐसा प्रेरणास्रोत खो दिया है, जिसने अपने जीवन से यह साबित किया कि इच्छाशक्ति के बल पर उम्र को भी मात दी जा सकती है।
'चटुल' स्वस्थ जीवन के सच्चे प्रतीक थे। उनका जीवन अनुशासन, संयम और सकारात्मक सोच का परिचायक रहा। वे मानते थे कि साइकिल चलाना केवल एक साधन नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है।
उनकी दिनचर्या, उनकी जीवंतता और सामाजिक सक्रियता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि छोटी और सरल आदतें – जैसे कि नियमित साइकिलिंग – व्यक्ति को ही नहीं, समाज को भी स्वस्थ और सशक्त बना सकती हैं।
रतन कुमार 'चटुल' केवल एक उम्रदराज व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक जीवंत समुदायिक शक्ति थे, जो समाज के हर वर्ग के लोगों से जुड़े हुए थे। उनका जीवन और कार्य हमें यह भरोसा दिलाते हैं कि सकारात्मक सोच, अनुशासित जीवनशैली और समाज से जुड़ाव से हम सभी एक लंबा, सार्थक और प्रेरणादायक जीवन जी सकते हैं।
भीलवाड़ा हमेशा उन्हें एक जनकवि, एक साइकिल प्रेमी और एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद रखेगा।
