शक्करगढ़ में भागवत कथा का दिव्य आरंभ, हनुमत धाम में गूंजे आध्यात्मिक संदेश
शक्करगढ़। मूलचन्द पेसवानी| श्री संकट हरण हनुमत धाम एवं श्री संकटमोचन आदर्श गोशाला परिसर में चल रहे प्रथम निर्वाण महोत्सव के अंतर्गत आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस का आयोजन भव्य आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न हुआ। परमादर्श महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी जगदीश पुरी महाराज की दिव्य उपस्थिति और उनके प्रेरक उपदेशों से कथा स्थल पूर्णतः भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो उठा। सुबह मंगलाचरण, गुरु वंदना और भागवत स्वरूप के पूजन के साथ कथा का शुभारंभ किया गया। व्यासपीठ पर आरूढ़ हुए स्वामी जी ने अपने प्रथम दिवसीय प्रवचन में श्रीमद् भागवत के महात्म्य, उसके प्राकट्य की पावन कथा और मानव जीवन के अंतिम उद्देश्य पर गहन प्रकाश डाला।
स्वामी जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कोई सामान्य धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात् स्वरूप है, जिसका श्रवण मन को निर्मल करने वाली अमृतधारा के समान है। उन्होंने कहा कि भागवत न केवल ज्ञान का भंडार है, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली अद्भुत दिव्य शक्ति भी है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि भागवत को केवल पढ़ने या सुनने तक सीमित न रखें, बल्कि उसके संदेशों को जीवन में उतारें और भक्ति, प्रेम, सेवा तथा सदाचार को जीवन का आधार बनाएं। स्वामी जी ने कथा सुनने की परंपरागत विधि बताते हुए कहा कि जब मन, वाणी और चित्त एकाग्र होकर भागवत श्रवण में लगते हैं, तब जीवन में स्वतः सकारात्मक परिवर्तन प्रारंभ हो जाता है।
पहले दिन स्वामी जी ने व्यासजी के शोक, परीक्षित को श्राप, मृत्यु के सात दिन शेष रहने पर राजा परीक्षित के मनोभाव, शुकदेव जी के आगमन और जीवन-मरण के रहस्यों पर अत्यंत सरल, सारगर्भित और हृदयस्पर्शी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि मानव जीवन ईश्वर की अनमोल भेंट है, जिसे व्यर्थ विवाद, क्रोध और नकारात्मक विचारों में न गंवाते हुए सच्चे सत्संग, सेवा, दया और प्रेम से सार्थक करना ही वास्तविक जीवन सार्थकता है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि जीवन को सार्थक बनाने के लिए नियमित सत्संग, मन की शुद्धि और सेवा की भावना अनिवार्य है।
कथा स्थल पर दिव्य संत समागम
कथा के दौरान हरिद्वार के निर्वाणपीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती महाराज, स्वामी आनन्द चैतन्य सरस्वती तथा काशी के महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणव चैतन्यपुरी महाराज का विशेष आगमन हुआ। संतों के आगमन से कथा स्थल की आध्यात्मिक गरिमा और अधिक बढ़ गई। मंच से संबोधित करते हुए स्वामी विशोकानन्द भारती महाराज ने कहा कि भागवत जीवन को सत्य, करुणा और भक्ति के पथ पर ले जाने वाला दिव्य मार्गदर्शक है। स्वामी आनन्द चैतन्य सरस्वती ने कहा कि सत्संग ही मन को निर्मल और जीवन को सहज बनाने का सर्वोत्तम उपाय है। वहीं स्वामी प्रणव चैतन्यपुरी महाराज ने कहा कि भागवत श्रवण से हृदय में प्रेम, शांति और अध्यात्म का प्रकाश फैलता है तथा मनुष्य अपनी वास्तविक पहचान को समझने लगता है।
हनुमत धाम में गूंज रही मूल पाठ की पवित्र ध्वनि
महोत्सव के अंतर्गत भागवत जी का मूल पाठ वृंदावन के विद्वान पंडितों द्वारा मुकेश अवस्थी के निर्देशन में पूरी विधिवत और परंपरागत शैली में किया जा रहा है। शुद्ध स्वर और वैदिक परंपरा में हो रहे इस दिव्य पाठ की ध्वनि से हनुमत धाम परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है। श्रद्धालुओं का कहना है कि कथा स्थल पर व्याप्त शांति और पवित्र वातावरण मन को अद्भुत शांति प्रदान कर रहा है। मूल पाठ के साथ प्रवचन का संगम पूरे आयोजन को विशेष आध्यात्मिक ऊँचाई प्रदान कर रहा है।
आज होगा श्रीबुद्धिप्रकाशम् का भव्य आयोजन
महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार की रात्रि 8 बजे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच की संगीत काव्य संध्या ‘श्रीबुद्धिप्रकाशम्’ का आयोजन रखा गया है। आश्रम के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र जोशी ने बताया कि यह संध्या महोत्सव का प्रमुख आकर्षण होगी, जिसमें कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच अपनी आध्यात्मिक, भक्ति एवं भावपूर्ण रचनाओं की प्रस्तुति देंगे। आयोजन समिति ने इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए विशेष तैयारियां की हैं। श्रद्धालु इस विशेष काव्य संध्या को लेकर उत्साहित हैं।
