14 वर्षीय जैन की अठाई तप की आराधना का जैन समाज ने किया अभिनंदन

By :  vijay
Update: 2024-09-09 11:43 GMT
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गोगुन्दा | श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ महावीर गौशाला उमरणा स्थित स्थानक भवन में तप अभिनन्दन समारोह अयोजित किया गया।जिसमे जैन संत जिनेन्द्रमुनि मसा प्रवीण मुनि मसा रितेश मुनि मसा एवं प्रभातमुनि मसा के सानिध्य में तपस्वियों का अभिनंदन किया गया।14 वर्षीय अभय जैन नान्देशमा वाले ने छोटी उम्र में अठाई तप की आराधना कर मन की एकाग्रता का परिचय दिया है।तप अभिनंदन समारोह में जैन धर्म से जुड़े हुए श्रावक श्राविकाओं ने अभय जैन को धन्यवाद प्रेषित किया गया।समाज मे बढ़ रही तप आराधना की रुचि से हरकोई हतप्रभ है।कार्यक्रम का शुभारंभ जिनेन्द्रमुनि मसा आदि संतो के मंगलाचरण से हुआ।इस अवसर में अनेक श्राविकाओं ने मंगलगान गाये।तत्पश्चात अठाई तप करने वाले छोटी उम्र के अभय जैन का संघ के पदाधिकारियों ने स्वागत किया।महिला मंडल की बहनों ने अभय का सम्मान किया।जिनेन्द्रमुनि मसा ने मंगलाचरण के अवसर पर कहा कि तपस्या आत्मशोधन की एक महत्वपूर्ण प्रकिया है।तप की अग्नि में जलकर आत्मा निर्मल और उज्ववल बनती है।मुनि ने कहा तप के तीन रूप अ "हसा संयम तप है अ हसा हमारी आत्मा है।संयम है स्वयं को संयोजित करना और तप हमारी इंद्रियों को पूर्ण नियंत्रण करना।तप करने से कर्म बन्धन टूटकर निर्जरा होती है।मुनि ने कहा तप करने से स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।प्रवीण मुनि ने कहा कि तप हर कोई नही कर सकता है।यह कठिन साधना है।तप में मनवृति पर पूर्ण अंकुश रखने वाला तप आराधना में सफल होता है।मन की एकाग्रता ही तप की मुख्य धुरी है।तप आराधना से मन की शुद्धि,तन की पवित्रता और चित शांत रहता है।बीमारियों से स्वयं बचता रहता है।रितेश मुनि ने किशोर अवस्था के जैन अभय को साधुवाद देते हुए कहा कि मन की धैर्यता और धर्म के प्रति सच्ची लगन के कारण अठाई तप की आराधना की है।मुनि ने कहा कि किसी भी प्रवृति को करने से पूर्व दूरगामी स्वस्थ सोच के साथ उस प्रवृति से होने वाले शुभाशुभ परिणामो पर बहुत अच्छी तरह से पहले अपने मन मे चिंतन कर लो।प्रभातमुनि ने अठाई तप आराधक की साधुवाद देते हुए कहा कि पिछले कई भवो के संचित कर्म तप आराधना से नष्ट किये जा सकते है। तप आराधना आत्मशक्ति आत्मशुद्धि के लिए की जाती है।तपस्या करने के लिए संकल्प बल,मनोबल धृतिबल और आत्म बल की अपेक्षा होती है।मुनि ने कहा तप उपासना तप ज्योति ओर तप ओषधि है।तप मोक्ष मन्दिर का सोपान है।तप में वर्णित सभी गुण अभय जैन में विधमान है,इसलिए इस उम्र में अठाई तप की आराधना की है।समाज के पदाधिकारियों ने चांदी के सिक्के भेंट कर प्रभावना वितरित की गई।इस अवसर में महावीर गौशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा अशोक मादरेचा कन्हैयालाल तलेसरा मिठालाल सोलंकी दिलीप सेठ नानालाल सुथार शांतिलाल टेलर मिठालाल टेलर आदि आगंतुक समारोह में उपस्थित रहे।महिलाओ ने भी तपस्वियों का बहुमान किया।आगे तपस्या करने का भाव रखने वाले बहुत श्रावक मौजूद रहे।

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