16 दिसंबर से शुरू होगा खरमास, एक महीने रुकेंगे मांगलिक कार्य

Update: 2025-12-07 09:00 GMT


साल 2025 के अंत में फिर वह समय आने वाला है जब मांगलिक कार्यों पर विराम लगता है और सूर्य उपासना का विशेष महत्व बढ़ जाता है। इसे खरमास या धनु संक्रांति कहा जाता है।

मान्यता है कि जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तब एक माह तक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। इसके बजाय यह अवधि पूजा, दान और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।




 


खरमास कब शुरू होगा

इस वर्ष सूर्य का धनु राशि में प्रवेश 16 दिसंबर 2025 को होगा। इसी के साथ खरमास की शुरुआत भी मानी जाएगी। यह अवधि लगभग एक महीने तक चलेगी और 14 जनवरी 2026 को समाप्त होगी, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि

खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है। रोजाना प्रातःकाल अर्घ्य देने से स्वास्थ्य, तेज और सुख-समृद्धि बढ़ती है।

अर्घ्य देने की सरल विधि

सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल चंदन, लाल पुष्प और अक्षत डालें।

सूर्य की ओर मुख करके खड़े हों और दोनों हाथ ऊपर उठाएं।

पतली धार बनाते हुए जल अर्पित करें।

जल की धारा से सूर्य की रोशनी देखें और मन में आरोग्य व उन्नति की कामना करें।

तामसिक भोजन, नकारात्मक विचार और अनावश्यक क्रोध से दूर रहें।

सूर्य मंत्र: ॐ घृणि सूर्याय नमः

खरमास में क्या करें

भगवान विष्णु, सूर्य देव और तुलसी जी की पूजा करें।

दान-पुण्य करें, गरीबों की मदद करें और तीर्थयात्रा करें।

नियमित ध्यान और सत्संग का अभ्यास करें।

क्या न करें

विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नया कारोबार शुरू न करें।

किसी भी बड़े मांगलिक कार्य की योजना न बनाएं।

खरमास का लाभ

धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में की गई पूजा और दान से व्यक्ति को रोगों से राहत, आर्थिक कष्टों में कमी और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह महीना आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति का समय है, जो नए वर्ष की शुरुआत से पहले मन, शरीर और विचारों की पवित्रता का अवसर देता है।

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