भीलवाड़ा (मदनलाल वैष्णव)। जिले में हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। 29 अगस्त और 1 सितंबर को भीलवाड़ा शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में हुई भारी बारिश ने खेतों में खड़ी मक्का की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। खेतों में पानी भर जाने से फसलें जमीन पर लेट गईं और गलने लगीं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है।
भीलवाड़ा जिले के कई इलाकों में किसानों ने इस बार बड़ी उम्मीदों के साथ मक्का की बुवाई की थी। अच्छी बारिश की आशा में किसानों ने कर्ज लेकर बीज, खाद और दवाइयां खरीदी थीं, लेकिन हाल की बारिश ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। खेतों में खड़ी फसलें जमीदोज हो और वह सड़ने की कगार पर हैं।
कई किसानों ने बताया कि उन्होंने प्रति बीघा करीब 6 से 8 हजार रुपये का खर्च किया था, लेकिन अब उन्हें फसल से एक दाना भी निकलने की उम्मीद नहीं बची है। मक्का की फसल आमतौर पर सितंबर के अंत तक तैयार हो जाती है, लेकिन जब पौधे ही पानी में गल जाएं, तो फसल बचाने का कोई रास्ता नहीं रह जाता। ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव के कारण पशुओं के चारे की भी भारी कमी हो गई है, जिससे किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। किसान ने प्रशासन से मांग की है कि खेत-खलिहानों का सर्वे करवाकर नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए। हालांकि कई किसानों ने बताया कि उन्होंने बीमा नहीं कराया है, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है।
बारिश के बाद कई जगहों पर खेतों में अब भी पानी जमा है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में फिर से बारिश की संभावना जताई है, जिससे किसान और ज्यादा चिंतित हैं। गांवों में हालात यह हो गए हैं कि किसान दिन-रात अपने खेतों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।
इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि किसान सबसे अधिक जोखिम में जीता है। सरकार और प्रशासन यदि समय रहते कदम नहीं उठाते हैं, तो आने वाले समय में खाद्यान्न उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
