ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों की लंबित मांगों पर नहीं हुई कार्रवाई, कर्मचारियों में गहरा आक्रोश

Update: 2025-10-01 07:21 GMT

मांडल (हलचल)। राजस्थान की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों की वर्षों से लंबित मांगों को लेकर अब गुस्सा फूट पड़ा है। राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, जयपुर ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र प्रेषित कर कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों पर तत्काल समाधान की मांग की है।

संघर्ष समिति ने पत्र में स्पष्ट किया है कि 6 अगस्त 2025 को सहकारिता मंत्री को भेजे गए ज्ञापन के बावजूद अब तक न तो कोई सकारात्मक पहल की गई है और न ही समस्याओं का समाधान हुआ है। इससे कर्मचारियों में हताशा और निराशा का माहौल है। कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है और अब उन्होंने निर्णायक संघर्ष की चेतावनी दी है।

पत्र के अनुसार समिति की प्रमुख मांगों में पहला मुद्दा यह है कि प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों का जिला कैडर बनाया जाए और उनके नियोक्ता की स्पष्ट व्यवस्था की जाए। वर्ष 2019 में इस संबंध में रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा वित्त विभाग को पत्रावली भेजी गई थी, जो अब तक लंबित पड़ी है।

दूसरी बड़ी मांग यह है कि प्रदेश के केंद्रीय सहकारी बैंकों में वर्षों से खाली पड़े ऋण पर्यवेक्षकों के पदों पर समितियों में पहले से कार्यरत व्यवस्थापकों की ही शत-प्रतिशत नियुक्ति की जाए।

तीसरे मुद्दे में समिति ने कहा है कि 10 जुलाई 2017 से पहले नियुक्त कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया अधूरी रह गई थी, जिसके चलते अनेक पात्र कर्मचारी इसका लाभ नहीं ले सके। समिति ने मांग की है कि यह प्रक्रिया पुनः प्रारंभ की जाए और आयु सीमा को संशोधित कर सभी पात्र कर्मचारियों को नियमित किया जाए।

चौथी मांग में समिति ने कहा है कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों के सेवा नियमों में संशोधन करते हुए इन्हें कार्मिक विभाग द्वारा मान्यता दी जाए ताकि कर्मचारियों को स्पष्ट सेवा शर्तें मिल सकें।

संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो 29 सितंबर 2025 से पैक्स कम्प्यूटराइजेशन, फसली ऋण वितरण एवं वसूली, सहकार सदस्यता अभियान सहित अन्य सभी जनकल्याणकारी कार्यों का अनिश्चितकालीन बहिष्कार किया जाएगा। इसके लिए पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और सहकारिता विभाग की होगी।

गौरतलब है कि राजस्थान में ग्राम सेवा सहकारी समितियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं। इन समितियों में कार्यरत कर्मचारी न केवल किसानों को ऋण, खाद-बीज जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं बल्कि सरकारी योजनाओं को भी धरातल पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में यदि यह आंदोलन शुरू होता है तो इसका सीधा असर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों पर पड़ेगा।

अब देखना यह होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या रुख अपनाती है और क्या कोई समाधान सामने आता है या फिर प्रदेश को एक और कर्मचारी आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।

Similar News