दिव्य संत समागम में उमड़ा श्रद्धा का सागर, संतवाणी से आलोकित हुआ शक्करगढ़ धाम
शक्करगढ़। श्री संकट हरण हनुमत धाम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित दिव्य संत समागम में आध्यात्मिक ऊर्जा, संस्कृति की सुवास और संतवाणी का भावपूर्ण संगम देखने को मिला। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में देश के प्रतिष्ठित महामंडलेश्वरों ने धर्म, संस्कृति, संस्कार और भागवत महिमा पर ओजस्वी उपदेश दिए, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
काशी से पधारे महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरी महाराज तथा जोधपुर के महामंडलेश्वर शिवस्वरूपानंद महाराज के प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को गहन आत्मचिंतन के लिए प्रेरित किया।
संत समागम स्वयं महातीर्थ के समान — आशुतोषानंद गिरी महाराज
महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरी महाराज ने कहा कि संसार में करोड़ों तीर्थ हैं, लेकिन इस प्रकार के संत समागम में बैठना स्वयं महातीर्थ का सौभाग्य है। यहां दान, स्नान और सत्संग श्रवण — तीनों का पुण्य एक साथ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि तीर्थ में जल से तन पवित्र होता है, जबकि संतों की निर्मल वाणी से मन और आत्मा पावन होती है।
उन्होंने श्रीमद्भागवत की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी सारी शक्तियां श्रीमद्भागवत में स्थापित कर दी थीं, इसलिए कलियुग में भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली सर्वश्रेष्ठ शक्ति भागवत ही है। उन्होंने विशाल संत समागम को परम सौभाग्य का अवसर बताया।
संस्कार बिना शिक्षा अधूरी — शिवस्वरूपानंद महाराज
महामंडलेश्वर शिवस्वरूपानंद महाराज ने सशक्त शब्दों में कहा कि जिसके जीवन में संस्कार और संस्कृति नहीं, वह शिक्षित होकर भी जीवन के सच्चे अर्थ को नहीं समझ सकता। उन्होंने आधुनिक समाज की विडंबनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज लोग बच्चों को विदेश भेज देते हैं, लेकिन उन्हें माता-पिता की सेवा, परिवार और संस्कृति का मूल्य नहीं सिखाते।
उन्होंने मार्मिक उदाहरण देते हुए बताया कि माता के निधन पर भी कई संतानों का अंतिम संस्कार में स्वयं उपस्थित न होना सामाजिक पतन का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि जिसने अपने माता-पिता के लिए समय नहीं निकाला, उसका जीवन चाहे कितना भी सफल दिखे, वह अधूरा ही है।
महामंडलेश्वर ने यह भी कहा कि केवल शिक्षा से नहीं, बल्कि संस्कार, करुणा, मानवता और कर्तव्य से ही मनुष्य श्रेष्ठ बनता है। समाज के विकास के लिए धन का उपयोग दिखावे के बजाय अस्पताल, विद्यालय और शिक्षण संस्थानों के निर्माण में होना चाहिए।
समागम का संचालन ब्रह्मचारी आचार्य हंस चैतन्य महाराज ने किया।
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भागवत कथा के चौथे दिन भक्तिभाव से गूंज उठा शक्करगढ़ धाम
श्री संकटमोचन आदर्श गोशाला एवं श्री संकट हरण हनुमत धाम परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के चौथे दिन अध्यात्म, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा व्यास परमादर्श महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज ने भक्ति, सद्गति और सत्संग के महत्व को सरल शब्दों में समझाया।
उन्होंने कहा कि भागवत केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि ऐसा दिव्य प्रकाश है जो मनुष्य को धर्म, कर्तव्य और प्रेम के मार्ग पर अग्रसर करता है। भक्त–प्रह्लाद और ध्रुव चरित के प्रसंगों का भावपूर्ण भजन प्रस्तुति के साथ वर्णन सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।
कल मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
आश्रम के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र जोशी ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा।
