परिवार में श्रीराम चरित्र मानस और गीता अवश्य होनी चाहिए देवनानी

By :  vijay
Update: 2025-06-29 12:27 GMT
परिवार में श्रीराम चरित्र मानस और गीता अवश्य होनी चाहिए देवनानी
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भीलवाड़ा,|राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी रविवार को   हरिसेवा उदासीन आश्रम पहुंच कर सतगुरूओं के दर पर संतो-महापुरूषो का आशीर्वाद प्राप्त किया। हरिसेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में आराध्य सतगुरूओं के चार दिवसीय वार्षिक उत्सव के अन्तर्गत अन्तिम दिन रविवार को बाबा गंगाराम साहब जी की 29वीं वार्षिक बरसी हर्षोल्लास और आनंदपूर्वक मनाई गई जिसमे श्री देवनानी ने भाग लिया।राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि RSS को समझने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक जन्म और लेना पड़ेगा। वो आरएसएस की शाखा में जाएं, उसमें साल-दो साल रहे, घिसाई हो तब जाकर उनको समझ में आएगा की संघ क्या है? देवनानी रविवार को हरि सेवा धाम के वार्षिकोत्सव में शामिल होने भीलवाड़ा पहुंचे थे।

देवनानी ने मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान- विधानसभा अध्यक्ष आरएसएस के कार्यकर्ता है और सीएम की रेस में शामिल है पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- मैं आरएसएस का कार्यकर्ता हूं, यह मेरे लिए गर्व की बात है, लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि गहलोत में संघ की समझ नहीं है।

 राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष देवनानी ने उद्बोधन में कहा कि परिवार में श्रीराम चरित्र मानस और गीता अवश्य होनी चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी चरित्रवान और संस्कारवान बनेगी। साथ ही उन्होंने विधानसभा में बनवाई गई संविधान गैलेरी और अजमेर शहर में अग्रेंजो व मुगलकालीन स्थानो के नामो को सनातन संस्कृति संबंधित से प्रतिस्थापित करने संबंधी जानकारी दी।कार्यक्रम में राष्ट्र, धर्म व समाज हित में सदैव दान की प्रवृत्ति बनी रहनी चाहिए। दान से ही जीवन में शान्ति और आनन्द की प्राप्ति होती है। भारत विश्व गुरू था, विश्व गुरू है एवं विश्व गुरू बना रहेगा, यह सनातन की शक्ति ही है। यह विचार महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने गुरूओं के वार्षिक उत्सव के अवसर पर प्रकट किये। उन्होंने भजन बाबा हरिराम बाबा शेवाराम बाबा गंगाराम तुहिंजे दर ते झले बिठा आहियूं झोली प्रस्तुत करते हुए अपने सतगुरूओं की महिमा का बखान किया और कहा कि उन्होंने दान से प्राप्त राशि को सदैव ही धर्म, राष्ट्र एवं परोपकारी कार्यो में ही लगाया।

इसके अतिरिक्त आश्रम के संत मयाराम, संत गोविन्दराम, बालक इन्द्रदेव, सिद्धार्थ, कुणाल व मिहिर ने भी स्वामी जी के सान्निध्य में अपने सतगुरूओं का गुणगान किया।

प्रातःकाल श्रद्धालुओं ने सतगुरूओं की समाधियों, धूणा साहब, आसण साहब, झण्डा साहब, श्री हरि सिद्धेश्वर मंदिर पर पूजन अर्चन कर शीश निवाया। हवन यज्ञ में संतो ने आहूतियां दी। अखण्ड पाठ सम्पूर्ण होने पर भोग साहिब पड़ा। श्री श्रीचंद्र मात्रा साहब वाणी का वाचन हुआ। अन्न क्षेत्र की सेवा सम्पन्न हुई।

इस अवसर पर बाहर से पधारे हुए उज्जैन के महंत आत्मदास उदासीन, अजमेर के महंत स्वरूपदास उदासीन, पुष्कर के महंत हनुमानराम उदासीन, किशनगढ़ के महंत श्यामदास, सुल्तानपुर के लक्खी साईं, गांधीधाम के संत दर्शनदास, राजकोट के स्वामी अमरलाल, इन्दौर के स्वामी मोहनदास संत संतदास चंदन, अजमेर के स्वामी ईश्वरदास, स्वामी अर्जुनदास, स्वामी आत्मदास एवं उदासीन निर्वाण मण्डल के अनेक संत महात्माओं ने संगत को दर्शन लाभ प्रदान किया।

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