शेयर बाजार में पांच दिन की जोरदार गिरावट, जानें 29 सितंबर से चाल कैसी रहेगी

Update: 2025-09-28 07:20 GMT

पिछले पांच कारोबारी दिनों में भारतीय शेयर बाजार ने निवेशकों को भारी झटका दिया। अमेरिकी और घरेलू कारणों से बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के करीब 16 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति घट गई। अकेले शुक्रवार को ही निवेशकों को लगभग 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अब सवाल यह है कि 29 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में बाजार की दिशा कैसी रहेगी।

कारोबार के आखिरी सत्र में बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 733.22 अंक गिरकर 80,426.46 पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 236.15 अंक घटकर 24,654.70 पर बंद हुआ। सप्ताह भर की कुल गिरावट को देखें तो सेंसेक्स 2,097.63 अंक या 2.54% और निफ्टी 631.80 अंक या 2.50% टूट गया। बैंक निफ्टी में भी भारी गिरावट देखने को मिली। इस दौरान बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में कुल 16 लाख करोड़ रुपये की कमी हुई।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर के अनुसार, “भारतीय शेयर बाजार इस सप्ताह निराशाजनक प्रदर्शन कर रहा है। सभी सेक्टरों में गिरावट देखी गई। आईटी इंडेक्स पर दबाव मुख्य कारण था, क्योंकि एच-1बी वीजा की बढ़ती लागत और एंसेचर द्वारा घोषित बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी ने निवेशकों को चिंतित कर दिया। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा फार्मा उत्पादों पर नए 100% टैरिफ ने फार्मा शेयरों में भारी गिरावट पैदा की और बाजार का सेंटीमेंट खराब हुआ।”

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि इस सप्ताह मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में ज्यादा गिरावट देखी गई, जबकि लार्ज-कैप शेयरों में उतनी गिरावट नहीं हुई। इसका कारण लार्ज-कैप कंपनियों का अपेक्षाकृत मजबूत वैल्यूएशन और निवेशकों का भरोसा माना जा रहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि 29 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में बाजार का रुख मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक संकेतकों, अमेरिका में नीतिगत फैसलों और घरेलू निवेशकों के मूड पर निर्भर करेगा। अगर वैश्विक आर्थिक माहौल में स्थिरता आती है और अमेरिकी टैरिफ जैसे मुद्दे नियंत्रण में रहते हैं, तो सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी देखने को मिल सकती है। वहीं, यदि एच-1बी वीजा के खर्च और टेक सेक्टर में छंटनी की चिंताएं बनी रहती हैं, तो बाजार में और दबाव बन सकता है।

निवेशक सलाहकारों का कहना है कि फिलहाल सावधानी से निवेश करना और उच्च जोखिम वाले मिड-कैप व स्मॉल-कैप शेयरों में निवेश सीमित करना बेहतर होगा। लार्ज-कैप शेयरों में लंबी अवधि के निवेश को सुरक्षित माना जा रहा है।

इस प्रकार, भारतीय शेयर बाजार ने पिछले सप्ताह निवेशकों के लिए चेतावनी भरे संकेत दिए हैं। 29 सितंबर से शुरू होने वाला नया कारोबारी सप्ताह इस बात का निर्धारण करेगा कि बाजार मजबूती की ओर बढ़ेगा या गिरावट की श्रृंखला जारी रहेगी।

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