जिस व्यक्ति के जीवन में धर्म नहीं है,उसका जीवन व्यर्थ है: प्रवर्तिनी डॉ लता

Update: 2025-08-23 09:07 GMT

आसींद(सुरेन्द्र संचेती)परिवार, व्यापार,समाज, राजनीति में प्रतिष्ठा है लेकिन धर्म नहीं है तो उस व्यक्ति का जीवन उस घड़ी के समान है जिसमें घंटे की सुई नहीं है। जीवन में धर्म का होना बहुत जरूरी है,इसके बिना व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है। आज अधिकांश व्यक्ति व्यसन से घिरा हुआ है जो एक बर्बादी का कारण है। एक व्यक्ति के गलत रास्ते पर जाने से पूरा परिवार डिस्टर्ब हो जाता है। व्यसन से मुक्ति मिले इसके हरसंभव प्रयास होने चाहिए। उक्त विचार प्रवर्तिनी डॉ दर्शन लता ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।

साध्वी ने कहा कि उपवास के साथ साथ पौषध भी करे जिससे कई तरह के लाभ होते है। जैन वो कहलाता है जो प्रतिदिन 108 बार नवकार महामंत्र का जाप करे, जमीकंद,रात्रि भोजन का त्याग करे, पानी को छानकर पीये, स्वधर्मी मिलने पर जय जिनेन्द्र करे। आज की युवा पीढ़ी व्यसन से ग्रस्त होने से परिवार में कई तरह की बीमारियां पैदा हो रही है,और व्यक्ति असमय कालग्रस्त हो रहा है।

साध्वी डॉ चारित्र लता ने अंतर्गढ़ सूत्र का वाचन कर उसकी व्याख्या की और कहा कि बच्चों में धर्म के संस्कार स्थापित हो इसके लिए माता और पिता की जिम्मेदारी है। धर्म जब तक हृदय में नहीं उतरेगा तब तक पुण्य का उदय होने वाला नहीं है। परमात्मा द्वारा दी गई जिनवाणी का श्रवण कर उसे जीवन में उतारे। स्थानीय संघ द्वारा हर रविवार को जो नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप किया जा रहा है उससे कोई भी परिवार वंचित नहीं रहे यह एक बहुत अच्छा कार्य है जिसका सभी को लाभ लेना चाहिए। आगामी 26 अगस्त को पूज्य गुरुदेव पन्ना लाल जी महाराज सा का जन्म महोत्सव दया तप करके मनाया जायेगा। धर्म सभा को संघ के संरक्षक शांति लाल बनवट ने भी संबोधित किया। संघ मंत्री अशोक श्रीमाल ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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