उत्तर प्रदेश के गंगा एक्सप्रेस-वे पर देश की पहली एयरक्राफ्ट नाइट लैंडिंग: वायुसेना ने दिखाई ताक़त, राफेल-सुखोई और जगुआर शामिल

Update: 2025-05-02 19:21 GMT
उत्तर प्रदेश के गंगा एक्सप्रेस-वे पर देश की पहली एयरक्राफ्ट नाइट लैंडिंग: वायुसेना ने दिखाई ताक़त, राफेल-सुखोई और जगुआर शामिल
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शाहजहांपुर जिले में शुक्रवार को देश में पहली बार किसी हाईवे पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने रात में लैंडिंग की। यह ड्रिल गंगा एक्सप्रेस-वे पर की गई, जहां राफेल, सुखोई, मिग-29 और जगुआर जैसे फाइटर जेट्स शामिल हुए। यह अभ्यास रात 9 बजे शुरू हुआ और लगभग दो घंटे तक चला। इससे पहले दिन में भी इसी एक्सप्रेस-वे पर ‘लैंड एंड गो’ ड्रिल की गई थी।

गौरतलब है कि गंगा एक्सप्रेस-वे पर करीब 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई गई है, जिस पर वायुसेना के विमान आपात स्थिति में उतर और उड़ान भर सकते हैं। शुक्रवार दोपहर को सबसे पहले C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान ने एक्सप्रेस-वे के ऊपर उड़ान भरी और आसमान में करतब दिखाए। इसके बाद एक-एक कर कई लड़ाकू विमानों ने ‘लैंड एंड गो’ अभ्यास किया।

इस ड्रिल में AN-32 परिवहन विमान ने एक्सप्रेस-वे पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। हालांकि हवा की गति तेज होने के कारण वह विमान तय दिशा में आगे नहीं बढ़ पाया। पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए विमान को 180 डिग्री मोड़कर हवा की दिशा के अनुरूप पुनः स्थिति को संतुलित किया।

एक्सप्रेस-वे पर चल रही इस ड्रिल को देखने के लिए आसपास के ग्रामीण खेतों में खड़े होकर वीडियो बनाते नजर आए। शुक्रवार शाम के दौरान जब यह अभ्यास चल रहा था, तब मौसम में अचानक बदलाव आया और धूल भरी आंधी भी शुरू हो गई, बावजूद इसके ड्रिल जारी रही।

शनिवार को भी फाइटर प्लेन दिन में उड़ान और लैंडिंग का अभ्यास करेंगे, लेकिन नाइट ड्रिल नहीं होगी।

गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश का चौथा ऐसा एक्सप्रेस-वे बन गया है, जिस पर लड़ाकू विमान उतरने और उड़ान भरने में सक्षम हैं। इससे पहले लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर भी एयरफोर्स के अभ्यास हो चुके हैं।

गौरतलब है कि गंगा एक्सप्रेस-वे 36,230 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। इसकी कुल लंबाई 594 किलोमीटर है, जो मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक जाएगी। यह एक्सप्रेस-वे रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर जब देश के पश्चिमी सीमांत पर पाकिस्तान के साथ तनाव की स्थिति बनी रहती है।

भारतीय वायुसेना के लिए यह अभ्यास एक तरह से युद्ध जैसी आपातकालीन स्थितियों में हाईवे के इस्तेमाल की तैयारी का हिस्सा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि युद्ध या किसी संकट के समय अगर एयरबेस पर हमला हो जाए, तो हाईवे जैसे वैकल्पिक स्थलों का उपयोग किया जा सके।

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