दिल की बीमारी से हुई अफ्रीकी हाथी शंकर की मौत, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (एनजेडपी) में इकलौते अफ्रीकी हाथी शंकर की मौत तीव्र हृदय विफलता (acute cardiac failure) से हुई है। यह जानकारी चिड़ियाघर प्रशासन ने शनिवार को पोस्टमॉर्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर दी।
हालांकि, सही कारण का पता लगाने के लिए बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) से लैब रिपोर्ट का इंतजार है। इस मामले में निदेशक स्तर और मंत्रालय की जांच भी जारी है। चिड़ियाघर की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'हृदय गति रुकने का वास्तविक कारण आईवीआरआई, बरेली की रिपोर्ट से साफ होगा। मौत की वजह जानने के लिए जांच निदेशक और मंत्रालय स्तर पर चल रही है।'
17 सितंबर की रात हुई थी शंकर की मौत
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मुताबिक, 17 सितंबर की रात 8 बजे अचानक 29 साल के शंकर ने दम तोड़ दिया। शंकर की तबीयत 17 सितंबर की सुबह से ही नासाज थी। वह कम घास और पत्तियां खा रहा था। उसे हल्का दस्त हो रहा था, लेकिन वह बाकी खाना, फल और सब्जियां सामान्य तरीके से खा रहा था।
16 सितंबर तक बीमारी की नहीं थी कोई सूचना
एनजेडपी की पशु चिकित्सा टीम ने उसकी जांच कर उसका इलाज किया। यही नहीं, पशुपालन कर्मचारियों ने लगातार उसकी तबियत पर नजर बनाए रखी, लेकिन उसी दिन शाम करीब 7.25 बजे अचानक शंकर अपने शेड में गिर गया और आपातकालीन इलाज देने के बावजूद उसकी मौत हो गई, जबकि 16 सितंबर तक उसे कोई बीमारी होने या उसके अजीब व्यवहार की कोई सूचना नहीं थी।
हर किसी का दुलारा था अफ्रीकी गजराज शंकर
शंकर नवंबर 1998 में जिम्बाब्वे से आया था और उसके बाद 27 साल से वह एनजेडपी परिवार का खास सदस्य रहा। अपने शांत स्वभाव और शाही अंदाज से उसने वहां आने वाले लोगों के दिल में ही जगह नहीं बनाई, बल्कि चिड़ियाघर के कर्मचारियों का भी वह दुलारा रहा। शंकर ताकत, समझ और प्यार का प्रतीक था और चिड़ियाघर के कई लोग उससे भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। 2005 में मादा अफ्रीकी हाथी बंबई की मौत के बाद से वह अकेला रह रहा था।
मस्ट रोग से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा था शंकर
पिछले कई वर्षों से शंकर 'मस्ट' रोग से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा था। इस दौरान नर हाथी के शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा अचानक बहुत बढ़ जाती है, जिससे उसका व्यवहार आक्रामक और असामान्य हो जाता है। मस्ट के समय शंकर को अक्सर बांधकर रखना पड़ता था।
2023 में तोड़ दी थी अपने बाड़े की दीवार
2023 में, शंकर ने अपने बाड़े की दीवार तोड़ दी थी, जिसमें उसे और एक देखभाल करने वाले को चोट लगी। उस समय उसे बेहोश कर काबू में करना पड़ा। 2024 में फिर वह मस्ट में आया और जुलाई से सितंबर तक लंबे समय तक जंजीरों में बांधा गया। इस दौरान उसके पैरों में जंजीर के घाव हो गए थे। अक्तूबर में उसकी देखभाल को लेकर उठे सवालों के बाद विश्व चिड़ियाघर एवं एक्वेरियम संघ (WAZA) ने दिल्ली चिड़ियाघर की सदस्यता निलंबित कर दी थी।
