नई दिल्ली | कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि ग्रेट निकोबार द्वीप के नक्शों से कोरल रीफ्स यानी मूंगे की चट्टानों को जानबूझकर हटा दिया गया है ताकि पर्यावरणीय सुरक्षा नियमों को दरकिनार कर ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल सके। पार्टी ने कहा कि यह कोई इकोलॉजिकल अपडेट नहीं, बल्कि ब्यूरोक्रेटिक री-राइट है, जो कॉरपोरेट हितों को साधने के लिए की गई है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को एक्स पर ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट साझा करते हुए आरोप लगाया कि 2020 और 2021 के बीच सरकार द्वारा जारी ग्रेट निकोबार द्वीप के आधिकारिक नक्शों से मूंगे की चट्टानें गायब कर दी गईं। रमेश ने लिखा कि मोदी सरकार ने ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने के लिए नक्शे तक बदल दिए।
मूंगे की चट्टानों कोरल रीफ्स के साथ हेरफेर का दावा
रमेश ने बताया कि 2020 के नक्शे में ग्रेट निकोबार के दक्षिण और पश्चिमी तट, विशेषकर गैलेथिया बे क्षेत्र, को कोरल रीफ्स से भरपूर दिखाया गया था। यह वही क्षेत्र है जहां अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल प्रस्तावित है। लेकिन 2021 में जारी संशोधित नक्शे में इन कोरल रीफ्स को समुद्र के बीचोंबीच स्थानांतरित दिखाया गया, जहां वैज्ञानिक रूप से उनका अस्तित्व संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव ने परियोजना के लिए रास्ता सुविधाजनक रूप से साफ कर दिया।
पर्यावरणीय श्रेणी में बदलाव का आरोप
कांग्रेस नेता ने कहा कि 2020 में ग्रेट निकोबार का लगभग पूरा हिस्सा ‘सीआरजेड-IA’ श्रेणी में था, जहां बंदरगाह निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित है। लेकिन 2021 के नक्शे में गैलेथिया बे को इस श्रेणी से बाहर कर दिया गया। रमेश के मुताबिक यह पर्यावरणीय अद्यतन नहीं, बल्कि नियमों को दरकिनार करने की सोची-समझी चाल है।
सोनिया गांधी और सरकार का तर्क
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने इस परियोजना को 72,000 करोड़ रुपये की नियोजित भूल बताया था, जिससे शोमपेन और निकोबारी जनजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने कहा था कि यह परियोजना एक अनोखे पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट कर देगी और यह प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है।
वहीं, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ‘द हिंदू’ में एक लेख लिखकर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना सामरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है और इससे ग्रेट निकोबार को हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़े समुद्री और हवाई संपर्क केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। परियोजना में एक अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, 450 एमवीए गैस एवं सोलर पावर प्लांट और 16 वर्ग किलोमीटर में एक नया टाउनशिप प्रस्तावित है।
