भारत की विदेश नीति पर बड़ा बयान – US, चीन और रूस के साथ रिश्तों का संतुलन अहम
नई दिल्ली चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्यों के बीच भारत को अपनी विदेश नीति में कितने बदलाव करने पड़ रहे हैं। अमेरिका-चीन-रूस जैसी ताकतों के साथ सामंजस्य और सौहार्दपूर्ण रिश्ते रखने में देश को किन मुद्दों पर सोचना पड़ता है। मौजूदा दौर में ये रिश्ते कितने चुनौतीपूर्ण हैं और भारत कैसे संतुलन बना रहा है? इन सवालों पर आज विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जर्मन विदेश मंत्री के साथ प्रेस वार्ता के दौरान कहा, इन सभी देशों से इतर भारत और जर्मनी के संबंध भी ठोस रूप से बढ़ रहे हैं। विदेश मंत्री ने दोनों देशों के रिश्ते को 'बहुत ही स्थिर संबंध' बताया।
मौजूदा वैश्विक राजनीतिक समीकरणों में भारत-जर्मनी संबंध बेहद महत्वपूर्ण
डॉ जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में मुस्कुराते हुए कहा, मुझे लगता है कि ये बहुत सहज है। भारत के दृष्टिकोण से देखें तो कई देशों के साथ हमारे सामरिक रिश्ते हैं। यूरोपीय यूनियन का सबसे बड़ा देश होने के नाते जर्मनी की अहमियत बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा (UNSC) परिषद में सुधार और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर दोनों देशों के रिश्ते को रेखांकित करते हुए कहा कि मौजूदा वैश्विक राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए भारत और जर्मनी के संबंधों की अहमियत और बढ़ जाती है।
वैश्विक ताकतों के बीच संतुलन बनाने का सवाल क्यों उपजा?
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के संबंध मौजूदा दौर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों और टैरिफ के कारण तल्ख हो गए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को खत्म करने में अपनी भूमिका का श्रेय लेने को लेकर ट्रंप की हठधर्मिता भी किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात वर्षों के बाद चीन दौरे पर गए जहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की। रूस-भारत और चीन (RIC) के इस गठजोड़ को अमेरिकी सियासत के बीच बड़े विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इसी संदर्भ में डॉ जयशंकर से भारत की विदेश नीति और ताकतों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती का सवाल पूछा गया था।