भारत-ईयू संबंधों को नई ऊँचाई, वैश्विक चुनौतियों के बीच यूरोपीय संघ ने पेश किया नया एजेंडा
नई दिल्ली भारत और यूरोपीय संघ के संबंध मजबूत होने जा रहे हैं। भारत के साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों से निपटने और रक्षा, व्यापार और ऊर्जा प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साझेदारी के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) ने नया रणनीतिक एजेंडा पेश किया है। यूरोपीय संघ ने कहा कि बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए भारत के साथ उसकी साझेदारी महत्वपूर्ण होती जा रही है। दोनों देशों के लिए आर्थिक विकास और सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी है।
संघ ने कहा कि नया रणनीतिक यूरोपीय संघ-भारत एजेंडा दोनों पक्षों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि इसका उद्देश्य द्विपक्षीय सहयोग को गहरा, व्यापक और बेहतर समन्वित करना, दोनों भागीदारों के लिए समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ाना, प्रमुख वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद करना है।
यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि समय आ गया है कि विश्वसनीय साझेदारों पर ध्यान दिया जाए। साझा हितों और समान मूल्यों से जुड़ी साझेदारियों को दोगुना किया जाए। हमारी नई यूरोपीय संघ-भारत रणनीति के साथ हम अपने संबंधों को अगले स्तर पर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नया एजेंडा व्यापार, निवेश और प्रतिभा गतिशीलता को आगे बढ़ाना, संयुक्त आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करना और रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक सहयोग को गहरा करना होगा।
लेयेन ने कहा कि यूरोप पहले से ही भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हम इस वर्ष के अंत तक अपने मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूरोप व्यापार के लिए खुला है। हम भारत के साथ अपने साझा भविष्य में निवेश करने के लिए तैयार हैं।
नए रणनीतिक एजेंडे को यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों द्वारा अनुमोदित किया जाना बाकी है। अनुमोदन प्रक्रिया के बाद इसे अगले वर्ष की पहली तिमाही में होने वाले भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में अपनाया जाएगा। इसमें पांच क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसमें सुरक्षा और रक्षा, कनेक्टिविटी और वैश्विक मुद्दे, समृद्धि, स्थिरता, प्रौद्योगिकी और नवाचार शामिल हैं।
यूरोपीय संघ ने कहा कि द्विपक्षीय आयाम से परे नया रणनीतिक एजेंडा वैश्विक मुद्दों पर तीसरे साझेदारों के साथ यूरोपीय संघ-भारत की संयुक्त भागीदारी से जुड़ा है, जो भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। दस्तावेज में समुद्री सुरक्षा, साइबर रक्षा और आतंकवाद के विरोध में सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया। सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए सूचना सुरक्षा समझौते पर वार्ता शुरू करने से सुरक्षा-रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा इसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग, खतरों से निपटना, अंतरिक्ष सुरक्षा और यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध और प्रतिबंधों पर गहन सहयोग, फोकस के अन्य क्षेत्र हैं। रणनीतिक एजेंडे में प्रतिबंधों का उल्लेख नहीं किया गया। एजेंडे में क्षेत्रीय संपर्क पहलों को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया है। जैसे कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और तीसरे देशों के साथ तथा उनमें ग्लोबल गेटवे तथा यूरोपीय संघ-भारत त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाना।
