दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत ,2031 तक 350 लाख टन का लक्ष्य, मंत्री शिवराज ने बताया रोडमैप
नई दिल्ली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दशहरे से ठीक एक दिन पहले रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया है। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन 2026-27 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सरकार ने दलहन फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 11,000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी गई है। यह पैकेज 6 साल के लिए होगा। इस फंड का इस्तेमाल देश में दलहन की खेती को बढ़ावा देने और दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के इन प्रस्तावों को मंजूरी देने पर केंद्रीय कृषि शिवराज सिंह ने कहा, ये दोनों निर्णय देश की खाद्य- पोषण सुरक्षा, किसान कल्याण व कृषि उत्पादन क्षेत्र में दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव डालने वाले हैं। सरकार ने किसान-हित को सर्वोपरि मानते हुए संसाधनों व योजनाओं को समग्र रूप से जोड़ने की दिशा बनाई है, जो किसानों के प्रति मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता व संवेदनशीलता को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा, देश में दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, पोषण एवं किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय दलहन मिशन मंजूर किया गया है। मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक दलहन उत्पादन को 242 लाख टन से 350 लाख टन करने का है। मिशन के तहत 416 जिलों में विशेष उत्पादन एवं वृद्धि कार्यक्रम लागू होंगे। इसमें चावल के परती क्षेत्र, सर्वश्रेष्ठ प्रजनक/आधार/प्रमाणित बीज, इंटरक्रॉपिंग, सिंचाई, मार्केट लिंकेज, और तकनीकी सहायता को नीति में सम्मिलित किया गया है। दलहनी फसल में तूर, उड़द व मसूर की खरीद एमएसपी पर 100% होगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का पूर्ण लाभ मिले। मिशन का 2025-26 में 11,440 करोड़ रु. का बजट है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह के अनुसार, गेहूं समेत रबी फसलों की एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि करते हुए लागत पर 109 प्रतिशत तक लाभ किसानों को मिलेगा। कैबिनेट के इन ऐतिहासिक फैसलों से किसानों की आमदनी, सामाजिक सम्मान एवं देश की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को नई मजबूती मिलेगी। सरकार, किसानों, किसानों के संगठनों और देश की जनता को विश्वास दिलाती है कि एमएसपी नीति, राष्ट्रीय दलहन मिशन और अन्य योजनाएं पूरी पारदर्शिता, वैज्ञानिकता और किसान-हित के साथ लागू होगी। एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि कुसुम्भ के लिए ₹600 प्रति क्विंटल की गई है, तत्पश्चात मसूर के लिए ₹300 प्रति क्विंटल की गई है। रेपसीड और सरसों, चना, जौ और गेहूं के लिए क्रमशः ₹250 प्रति क्विंटल, ₹225 प्रति क्विंटल, ₹170 प्रति क्विंटल और ₹160 प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
विपणन मौसम 2026-27 के लिए रबी फसलों हेतु एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 में एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर निर्धारित करने की घोषणा के अनुरूप है। अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित प्रति लाभ गेहूं के लिए 109 प्रतिशत है, तत्पश्चात रेपसीड और सरसों के लिए 93 प्रतिशत; मसूर के लिए 89 प्रतिशत; चना के लिए 59 प्रतिशत; जौ के लिए 58 प्रतिशत; और कुसुम्भ के लिए 50 प्रतिशत है।
2014-15 से 2026-27 तक रबी फसलों की एमएसपी की तुलना करने पर स्पष्ट होता है कि गेहूं की एमएसपी 1400 रु. प्रति क्विंटल से बढ़कर 2585 रु. हो गई, लगभग दो गुना से अधिक। जौ की एमएसपी 1100 रु. से बढ़कर 2150 रु. हुई, जो दोगुना है। चना 3100 रु. से 5875 रु., मसूर 2950 रु. से 7000 रु. (2.5 गुना), रापसी/सरसों 3050 रु. से 6200 रु. (दो गुना) और कुसुम्भ की एमएसपी 3000 रु. से 6540 रु. (2.2 गुना) पहुंच गई है।
