अफीम नीति शीघ्र घोषित करने व समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर जोकचन्द्र ने लिखा केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री को पत्र
पिपलिया स्टेशन (निप्र)। शीघ्र अफीम नीति घोषित कर अफीम किसानों की समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर किसान नेता श्यामलाल जोकचन्द्र ने केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री को पत्र भेजा है। इस पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी भेजी। जोकचन्द्र ने बताया कि अफीम नीति हर बार की तरह सितम्बर के अंत में घोषित होती है, लेकिन नारकोटिक्स विभाग द्वारा अभी तक नीति को घोषित नही किया है, जिससे किसान असमंजस की स्थिति में है, कही लेट अफीम नीति घोषित करना भी किसान को परेशान करने की साजिश का हिस्सा तो नही ? क्योंकि देरी से अफीम पट्टा मिलने पर किसान औसत नही दे पाएगा और उसका लायसेंस निरस्त हो जाएगा। जोकचन्द्र ने बताया इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्टेट के जमाने में उनके झंडे में अफीम का डोडा व गेंहू की बाली का निशान था। इस फसल के नाम पर मालवा-मेवाड़ क्षेत्र स्वयं को गौरान्वित महसूस करता था, लेकिन दुर्भाग्य से जनप्रतिनिधियों व पुलिस प्रशासन की मिलीभगत के कारण उक्त फसल के नाम पर किसानों को बदनाम किया जा रहा है। लगातार अफीम उत्पादक किसानों के विरुद्ध षड्यंत्र रचा जाता है, वर्तमान में भी केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा अफीम खेती को ंबंद करने का षड्यंत्र चल रहा है, अगर एसा हुआ तो बड़ा जन आंदोलन होगा और शासन-प्रशासन को इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। जोकचन्द्र ने वित्त राज्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया कि किसी भी किसान को दस आरी से कम के पट्टे नही दिए जाए। आवेदन करने वाले हर किसान को अफीम का पट्टा दिया जाए। पूर्व में घटिया राख, कम औसत, मार्फिन व वाटरमिक्स के आधार पर काटे सभी पट्टे बहाल किए जाए। तीन प्लाट में बोने पर विभाग द्वारा काटे गए पट्टों को भी पुनः दिए जाए। किसानों को अफीम का भाव कम से कम 50 हजार रुपए किलो दिया जाए, ताकि तस्करी पर रोक लग सके। वर्ष 1997-98 से 2004 तक जीरो औसत पर पट्टे जारी किए जाए। नारकोटिक्स विभाग द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाए। अफीम पट्टे की पात्रता होने पर किसानों की सूची सार्वजनिक की जाए, ताकि विभाग की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लग सके। पोस्तादाना के लिए इच्छुक किसान को भी पट्टे दिए जाए। अफीम तौल के समय ही किसान को उसकी उपज की क्वालिटी की जानकारी दी जाए व जांच प्रक्रिया उसी दिन पूरी की जाए। क्योंकि छह माह के बाद किसान को नारकोटिक्स द्वारा अफीम घटिया बताकर पट्टा काटने की धमकी देकर अवैध राशि वसूली जाती है। मुखिया के यहां प्रतिदिन किए जाने वाली तौल प्रक्रिया को बंद की जाए, गोदाम पर ले जाने के अंतिम दिन ही अफीम का पूरा तौल किया जाए, ताकि किसानों का शोषण रुक सके। महंगी अफीम खेती का बीमा किया जाए, ताकि नुकसानी होने पर उसे क्षतिपूर्ति मिल सके। मार्फिन की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। प्राकृतिक आपदा काली मस्सी, धोली मस्सी, कोहरा, ओलावृष्टि, पाला गिरने, बैमोसम बरसात आदि पर नुकसान होने पर किसान को वित्त मंत्रालय द्वारा 10 आरी पर 25 हजार रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए। अफीम के डोडे चोरी होने व अफीम का कंुडा चोरी होने पर किसान का पट्टा नही काटा जाए। अफीम लायसेंस धारी की मृत्यु पर सरल प्रक्रिया में उसके परिजन को पट्टा दिया जाए। क्योंकि नारकोटिक्स विभाग द्वारा पट्टा देने के लिए भूमि का नामान्तरण करवाने के साथ ही कई बारिक खामियां निकालकर किसान से अवैध राशि वसूली जाती है।
डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर करने की मांग:-
जोकचन्द्र ने डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर करने की भी मांग की। पत्र में बताया कि डोडाचूरा में 00.2 प्रतिशत से भी कम मात्रा में मार्फिन पाई जाती है, जबकि वैध नशे की गोली एलफ्लेक्स एल्फ्राजोलम में 0.25 मिलीग्राम एवं डाइजेफाम गोली में 0.10 एमजी तक नशा रहता है और यह गोलियां सहज में डॉक्टर की सलाह पर मेडीकल पर मिल जाती है। दुर्भाग्य से अन्नदाता किसान कड़ी धूप, ठंड, बारिश, ओले झेलते हुए अफीम की फसल पैदा करता है और लुवाई, चिराई व डोडे से पोस्ता लेने के बाद वेस्ट मटेरियल डोडाचूरा को विक्रय करता है तो पुलिस द्वारा उस पर एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा लादकर उसे जेल में बंद कर दिया जाता है, जबकि पूर्व में डोडाचूरा आबकारी विभाग के अधीन था और प्रदेश सरकार इसे खरीदती थी। पर अब किसान पर नष्ट करने का दबाव बनाकर उसे आर्थिक नुकसान किया जा रहा है। पुलिस विभाग का मालवा-मेवाड़ क्षेत्र में डोडाचूरा के नाम पर गौरखधंधा चल रहा है। कई सफेदपोशों के साथ मिलकर पुलिस खुद जाल बिछाकर, खरीददार को भेजकर किसान को फर्जी डोडाचूरा प्रकरण में फंसाकर लाखों रुपए की अवैध वसूली कर रही है। सत्तारुढ़ पार्टियों के सांसद, विधायकों द्वारा थाना क्षेत्रों में चुन-चुनकर एसे थाना प्रभारियों को पदस्थ करवाया जा रहा है, जो फर्जी एनडीपीएस एक्ट प्रकरण बनाने में माहिर हो। एक केस बनाकर 10 से लगाकर 25 किसानों से लाखों की वसूली होती है, इस राशि में कई बड़े सफेदपोशों का भी हिस्सा रहता है। इस अवैध राशि को वे चुनाव में खर्च कर परिणाम प्रभावित करते है। अगर डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर किया जाता है तो किसाानों को आर्थिक फायदा तो होगा ही साथ ही डोडाचूरा प्रकरण में जेलों में बंद हजारों बेगुनाह लोगों को न्याय मिल सकेगा। वहीं अन्य अपराधों में भारी कमी आएगी और राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगें।