कार्तिक पूर्णिमा पर भस्म आरती में खुला बाबा महाकाल का तीसरा नेत्र, भक्तों को ऐसे दिए दर्शन

By :  vijay
Update: 2024-11-15 05:53 GMT

कार्तिक पूर्णिमा पर बाबा महाकाल को तीसरा नेत्र लगाकर अलौकिक स्वरूप में सजाया गया और फूलों की माला से श्रृंगारित किया गया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई।उज्जैन श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती के दौरान आज शुक्रवार को बाबा महाकाल का आकर्षक श्रृंगार किया गया। इस दौरान बाबा महाकाल को तीसरा नेत्र लगाकर सजाया गया। जिसके बाद बाबा ने भक्तों को दर्शन दिए। इससे पहले बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे, इसके बाद धूमधाम से भस्मारती की गई।


विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर शुक्रवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान कराया गया, पंचामृत अभिषेक करवाया गया और केसर युक्त जल अर्पित किया गया।


बाबा महाकाल को तीसरा नेत्र लगाकर अलौकिक स्वरूप में सजाया गया और फूलों की माला से श्रृंगारित किया गया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्मारती के दर्शन किए और भस्मारती की भव्यता का आनंद लिया। श्रद्धालुओं ने इस दौरान बाबा महाकाल के निराकार से साकार स्वरूप के दर्शन कर "जय श्री महाकाल" का उद्घोष भी किया।



भस्मारती के दौरान हुआ श्री हरि विष्णु जी का पूजन और आरती भी

श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन प्रातः होने वाली श्री महाकालेश्वर भगवान की भस्मारती में वैकुंठ चतुर्दशी के दिन श्री हरि विष्णु जी का पूजन और आरती भी की गई। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं। उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता देवाधिदेव महादेव के पास होती है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुनः श्री विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं।

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