राजसी सवारी में बाबा महाकाल ने मनमहेश स्वरूप में दिए भक्तों को दर्शन
बाबा महाकाल की राजसी सवारी सोमवार को ठाठ-बाट के साथ शाम चार बजे मंदिर से नगर भ्रमण के लिए निकली। यह सवारी भी श्रावण-भादो में निकलने वाली आखिरी सवारी वाले मार्ग से धूमधाम से निकाली गई, जो तकरीबन सात किलोमीटर लंबा था। सवारी के दौरान भगवान महाकाल चांदी की पालकी में भक्तों को मनमहेश स्वरूप में दर्शन देने निकले। सवारी से पहले मंदिर के सभा मंडप में पूजन हुआ और मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में विराजित भगवान को सलामी भी दी।
कार्तिक-अगहन मास की अंतिम राजसी सवारी आज पूरे लाव लश्कर के साथ नगर भ्रमण के लिए निकली। आज सभामंडप में भगवान श्री महाकालेश्वर जी का विधिवत पूजन पुजारी घनश्याम गुरु ने कराया। पूजन में मन्दिर प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा, मन्दिर प्रशासक गणेश धाकड़ सहित गणमान्यजन, पूजारी गण, पुरोहित गण आदि सम्मिलित हुए। सभा मंडप से पालकी प्रारम्भ होते ही सभा मंडप भगवान के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। पूरे ठाट-बाट व लाव-लश्कर के साथ पालकी के बाहर आते ही सशस्त्र बल द्वारा सलामी दी गई।
आज भगवान श्री महाकाल ने मनमहेश स्वरूप ने भक्तों को दर्शन दिए। सवारी में घोड़े, पुलिस का बैंड, भजन मंडलियां, डमरू वादन करते युवा, सशस्त्र जवानों की टुकड़ियां शामिल रही। सवारी में आगे तोपची धमाके करते हुए चल रहे थे तो पीछे चांदी का ध्वज भी निकाला गया। वहीं आम भक्त भी सवारी के साथ जयकारे लगाते हुए निकले। पालकी के साथ पंडे-पुजारियों का दल शामिल रहा।
सवारी महाकाल मंदिर चौराहे से गुदरी, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा के रामघाट पर पहुंची जहां शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया। पूजन के पश्चात सवारी गणगौर दरवाजा, कार्तिकचौक, ढाबारोड, टंकी चौक, तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीगेट, सराफा, छद्धीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार वापस गुदरी होते हुए महाकाल मंदिर पहुंचकर रात में समाप्त हुई। संपूर्ण सवारी मार्ग पर भगवान महाकाल का मंचों से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।