महाराष्ट्र पासपोर्ट रैकेट मामले में सीबीआई ने की छापेमारी, 1.59 करोड़ रुपये जब्त

Update: 2024-07-02 13:15 GMT

सीबीआई ने मुंबई के पासपोर्ट सेवा केंद्रों में भ्रष्टाचार के रैकेट का भंडाफोड़ किया। सीबीआई ने तीन दिन के तलाशी अभियान के बाद 1.59 करोड़ रुपये और डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए हैं। 14 अधिकारियों और 18 दलालों और बिचौलियों के खिलाफ 28 जून को 12 मामले दर्ज किए गए थे।


 मुंबई के पासपोर्ट सेवा केंद्र में बड़े स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार रैकेट को पकड़ने के लिए सीबीआई ने बड़े स्तर पर जांच अभियान शुरू किया। दरअसल 28 जून को लोअर परेल और मलाड के पासपोर्ट सेवा केंद्रों के 14 अधिकारियों, 18 दलालों और बिचौलियों के खिलाफ 12 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों के दर्ज किए जाने के बाद सीबीआई ने मुंबई और नासिक में जांच अभियान शुरू कर दिया। सोमवार तक बड़े स्तर पर जांच अभियान चलता रहा। इस दौरान उनको लगभग 1.59 की नगदी और डिजिटल साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।


तीन दिनों के जांच अभियान के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो को नकदी के अलावा पांच डायरियां भी मिली हैं। इन डायरियों में कथित तौर पर लेन-देन का विवरण और रिश्वतखोरी के गिरोह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी अधिकारी और बिचौलिए सांठगांठ के साथ यह भ्रष्टाचार कर रहे थे। वे अधूरे दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करने या पासपोर्ट आवेदकों के विवरणों में हेरफेर करने की अनुमति देते थे।

उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय और सीबीआई की सतर्कता शाखा द्वारा पीएसके में संयुक्त रूप से औचक जांच की गई। इस संयुक्त औचक जांच के दौरान अधिकारियों और बिचौलियों की कथित गतिविधियों की जानकारी मिली। संदिग्ध अधिकारियों के कार्यालय डेस्क और मोबाइल फोन की जांच की गई।

वही एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, "संदिग्ध लोक सेवकों के दस्तावेजों, सोशल मीडिया चैट और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) आईडी गतिविधियों के विश्लेषण से पीएसके के कुछ अधिकारियों द्वारा विभिन्न संदिग्ध लेन-देन का पता चला है। यह लेन-देन पासपोर्ट जारी करने के लिए पासपोर्ट सुविधा एजेंटों के माध्यम से अनुचित लाभ की मांग और स्वीकृति के साथ-साथ अपर्याप्त, नकली, जाली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करने का संकेत देते हैं।" उन्होंने ने आरोप लगाया कि पासपोर्ट सेवा केंद्र अधिकारी दलालों की मिलीभगत से कथित तौर पर अपने स्वयं के बैंक खातों में या अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में कई लाख रुपये की भारी मात्रा में अनुचित लाभ प्राप्त कर रहे थे।

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