भगवान महाकालेश्वर 18 अक्टूबर से बदलेंगे दिनचर्या, अब ऐसी रहेगी आरती-भोग की टाइमिंग

By :  vijay
Update: 2024-10-14 16:18 GMT

कालो के काल बाबा महाकाल के दरबार में प्रत्येक छह महीने में भगवान की आरती के समय में कुछ बदलाव किया जाता है। साल में दो बार सर्दी और गर्मी के मौसम में जहां बाबा महाकाल ठंडा और गर्म जल से स्नान करते हैं। वहीं, गर्मी के मौसम में सूर्य के देर से अस्त होने के कारण संध्या आरती देरी से की जाती है। जबकि सर्दी के मौसम में आधे घंटे पहले इस आरती को किया जाता है।

इस वर्ष भी कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से बाबा महाकाल की दिनचर्या में बड़ा बदलाव होने वाला है, जिसके तहत बाबा महाकाल की सुबह सात बजे होने वाली बाल भोग आरती उसके बाद सुबह 10 बजे होने वाली भोग आरती जहां अब आधे घंटे देरी से होगी। वहीं, शाम को सात बजे होने वाली संध्या आरती आधे घंटे पहले 6.30 पर होगी।


विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि महाकाल मंदिर में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा 18 अक्तूबर 2024 शुक्रवार से भगवान महाकाल की दिनचर्या बदल जाएगी। शीतकाल में अब बाबा महाकाल सुबह आधा घंटा देरी से भोजन ग्रहण करेंगे और भस्म आरती के दौरान भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। रोजाना होने वाली पांच में से तीन आरतियों का समय भी बदलेगा। दिनचर्या में बदलाव का यह क्रम फाल्गुन पूर्णिमा तक जारी रहेगा।


अभी गर्मी के हिसाब से चल रही है बाबा महाकाल की दिनचर्या

पंडित महेश पुजारी का कहना है कि महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में भगवान की दिनचर्या हर छह माह में गर्मी और सर्दी के क्रम में बदलती है। वर्तमान में भगवान की दिनचर्या गर्मी के मौसम के हिसाब से चल रही है। भगवान को ठंडे जल से स्नान कराया जा रहा है, लेकिन मंदिर में सर्दी की शुरुआत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से मानी जाती है। इस दिन से भगवान महाकाल ठंडे जल की जगह गर्म जल से स्नान शुरु करते हैं।

आरती के समय में यह होगा बदलाव

वर्तमान में प्रतिदिन सुबह सात बजे दद्योदक या बालभोग आरती की जा रही है। इस आरती में भगवान को दही और चावल का भोग लगाया जाता है। 18 अक्तूबर से यह आरती सुबह 7.30 बजे से की जाएगी। इसी तरह वर्तमान में भोग आरती सुबह 10 बजे की जा रही है। इसमें भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिठाई का भोग लगाया जाता है। यानी भगवान को सुबह 10 बजे भोजन कराया जाता है।

18 अक्तूबर से भोग आरती सुबह 10.30 बजे होगी। इसका मतलब है कि सर्दियों में भगवान आधे घंटे देरी से भोजन करेंगे। फिलहाल, संध्या आरती शाम सात बजे की जाती है। लेकिन 18 अक्तूबर से संध्या आरती हर दिन शाम 6.30 बजे होगी। क्योंकि सर्दियों में सूर्यास्त जल्दी हो जाता है। जब की प्रतिदिन प्रातः चार बजे भस्म आरती तथा रात्रि 10.30 बजे शयन आरती पूर्व निर्धारित समय पर होगी। सायं पांच बजे संध्या पूजन का समय भी पूर्व निर्धारित रहेगा।

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