बाबा महाकाल दो मुखारविंद- रजत पालकी में चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, दर्शन देता है पुण्य लाभ

Update: 2024-09-02 11:08 GMT

बाबा महाकाल की शाही सवारी में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अक्सर महाकाल की पालकी को ऊँचा करने की बात होती है ताकि बाबा महाकाल के दर्शन सुगमता से हो सकें। लेकिन यह बात बहुत कम श्रद्धालु जानते हैं कि सवारी में बाबा महाकाल के दो समान मुखारविंद एक साथ चलते हैं—एक पालकी में और दूसरा हाथी पर। दोनों ही मुखारविंद एक समान होते हैं, और किसी भी एक का दर्शन करने से समान पुण्य लाभ मिलता है।

बाबा महाकाल, अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए राजा की तरह नगर भ्रमण पर निकलते हैं। उनका राजसी ठाट-बाट और वैभव हर श्रद्धालु को मंत्रमुग्ध कर देता है। जब बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं, तो उनके आगे कड़ाबीन के धमाकों से नगरवासियों को सूचित किया जाता है कि राजा पधार रहे हैं। पुलिस का बैंड, स्वर लहरियों के साथ आगे चलता है, और सशस्त्र पुलिस जवान सवारी मार्ग पर कदमताल करते हुए चलते हैं। जब महाकाल राजा मंदिर से बाहर आते हैं, तो मुख्य द्वार पर उन्हें पुलिस विभाग की ओर से सशस्त्र बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है, और फिर बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि प्राचीन समय में राजा या तो पालकी में सवार होकर निकलते थे या हाथी पर। इसी परंपरा के आधार पर, जब से महाकाल की सवारी शुरू हुई, भक्तों की सुविधा के लिए भगवान के दो समान मुखारविंद बनाए गए। एक मुखारविंद पालकी में विराजित किया जाता है, जबकि दूसरा हाथी पर बैठाया जाता है। इस तरह बाबा महाकाल राजा पालकी में भी सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं और हाथी पर भी।

पुजारी महेश गुरु ने बताया कि दोनों मुखारविंद एक जैसे होते हैं। जिन भक्तों को पालकी में बैठे महाकाल राजा के दर्शन नहीं हो पाते, वे हाथी पर सवार महाकाल के दर्शन कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि श्रद्धालुओं को इस जानकारी का अभाव है, इसलिए वे केवल पालकी की ओर ही ध्यान देते हैं। मंदिर प्रबंध समिति को इस बारे में बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार करना चाहिए, ताकि आम लोगों और श्रद्धालुओं को पता चल सके कि बाबा महाकाल पालकी और हाथी दोनों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं।

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