भारत-चीन शिखर वार्ता:: चीन की धरती से पाकिस्तान को संदेश... पीएम मोदी ने चिनफिंग के सामने उठाया ये मुद्दा, ड्रैगन ने कहा- 'हम तैयार'

Update: 2025-08-31 17:09 GMT

 

नई दिल्ली,  : चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। यह दोनों नेताओं की पिछले एक साल में दूसरी बैठक थी, इससे पहले अक्टूबर 2024 में कजान में उनकी मुलाकात हुई थी।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए न्योता

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पीएम मोदी ने शी चिनफिंग को 2026 में भारत में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। चिनफिंग ने निमंत्रण के लिए धन्यवाद देते हुए भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया।

सीमा शांति और व्यापार पर चर्चा

बैठक में वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों पर गहन चर्चा हुई। पीएम मोदी ने चीन की SCO अध्यक्षता का समर्थन किया और तियानजिन सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। दोनों नेताओं ने माना कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस दौरान व्यापार घाटे को कम करने, निवेश बढ़ाने और नीतिगत पारदर्शिता लाने पर सहमति बनी।

सीमा मुद्दे पर भी चर्चा हुई, जिसमें पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता दोनों देशों के संबंधों को सहज बनाने के लिए आवश्यक है। दोनों नेताओं ने पिछले साल हुए डिसएंगेजमेंट की सराहना की और बातचीत व मौजूदा तंत्रों के जरिए शांति बनाए रखने का संकल्प लिया।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता

आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, सीमा पार संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।

शी चिनफिंग के चार सूत्रीय सुझाव

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने के लिए चार सुझाव दिए:

रणनीतिक संवाद और आपसी भरोसे को बढ़ाना।

सहयोग और संपर्क को मजबूत करना।

दोनों देशों के लिए विन-विन परिणाम सुनिश्चित करना।

बहुपक्षीय मंचों पर मिलकर काम करना।

साझेदारी पर जोर

पीएम मोदी ने इन सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और चीन प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि साझेदार हैं। उन्होंने जोर दिया कि दोनों देशों के साझा हित मतभेदों से कहीं बड़े हैं और मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि आपसी सहयोग से वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान संभव है।

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