सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक को संसद की मंजूरी, बीमा क्षेत्र में शत प्रतिशत एफडीआई का रास्ता साफ
नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र में बड़े सुधार की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए संसद ने सबका बीमा सबकी रक्षा बीमा कानूनों में संशोधन विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है। बुधवार को राज्यसभा ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले लोकसभा में यह विधेयक मंगलवार 16 दिसंबर को पारित हो चुका था।
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य बीमा से जुड़े तीन प्रमुख कानूनों में संशोधन करना है। इसके तहत बीमा क्षेत्र में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल बीमा क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ेगा, बल्कि कारोबार करना भी आसान होगा और आम लोगों तक बीमा की पहुंच बढ़ेगी।
संशोधन के तहत पहली बार यह प्रावधान किया गया है कि किसी बीमा कंपनी का गैर बीमा कंपनी के साथ विलय किया जा सकता है या फिर कंपनी को बीमा और गैर बीमा इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए बीमा नियामक की अनुमति अनिवार्य होगी। इसके अलावा अब पांच प्रतिशत से कम हिस्सेदारी के स्थानांतरण के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। पहले यह सीमा एक प्रतिशत थी। साथ ही सभी बीमा कंपनियों और बिचौलियों के लिए अपने नाम में बीमा शब्द रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
विधेयक में नियमों के उल्लंघन पर सख्त प्रावधान भी किए गए हैं। अधिकतम जुर्माने की राशि को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दस करोड़ रुपये कर दिया गया है। अब बीमा कंपनियों और बिचौलियों के लिए जुर्माने के नियम समान होंगे। पहले जहां गड़बड़ी पाए जाने पर बिचौलियों का लाइसेंस सीधे रद्द कर दिया जाता था, अब लाइसेंस निलंबन का प्रावधान रखा गया है ताकि उन्हें सुधार का अवसर मिल सके।
राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति से विदेशी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करना आसान होगा। उन्हें अब स्थानीय साझेदार तलाशने की मजबूरी नहीं रहेगी। इससे बीमा कवरेज बढ़ेगा, प्रीमियम में कमी आएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम से जुड़े अधिकारों में कमी की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस विधेयक से एलआईसी और अधिक सशक्त होगी। अब एलआईसी को विदेशों में अपने जोनल कार्यालय खोलने के लिए पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए नागरिकों का बीमित होना जरूरी है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा कवरेज बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर वस्तु एवं सेवा कर की दर को शून्य कर दिया गया है। इसी दिशा में बीमा कवरेज को और व्यापक बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 में पहली बार बीमा क्षेत्र को एफडीआई के लिए खोला गया था, तब इसकी सीमा 26 प्रतिशत थी। वर्ष 2015 में इसे 49 प्रतिशत और 2021 में 74 प्रतिशत किया गया। इसके बावजूद वर्तमान में कई बीमा कंपनियों में एफडीआई की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा क्षेत्र को और अधिक पूंजी निवेश की जरूरत है। कई विदेशी कंपनियां भारत में आना चाहती हैं, लेकिन संयुक्त उपक्रम के लिए उन्हें उपयुक्त भारतीय भागीदार नहीं मिल पाता। शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति से वे स्वतंत्र रूप से बीमा कंपनी स्थापित कर सकेंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और प्रीमियम दरों में कमी आएगी।
रोजगार को लेकर विपक्ष की आशंकाओं पर उन्होंने कहा कि इससे नौकरियां घटेंगी नहीं, बल्कि बढ़ेंगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2015 में एफडीआई सीमा बढ़ने के बाद बीमा क्षेत्र में रोजगार करीब तीन गुना बढ़ा है। यह 31 लाख से बढ़कर 88 लाख से अधिक हो गया है।
विदेशी कंपनियों के पैसा लेकर भाग जाने की आशंका पर वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि बीमा नियामक के नियमों के अनुसार विदेशी कंपनियों को अपनी देनदारियों से डेढ़ गुना राशि देश में रखनी होती है। सभी देनदारियों को पूरा करने के बाद ही मुनाफे की गणना की जाती है। ऐसे में इस तरह की आशंकाएं पूरी तरह निराधार हैं।
