कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों में बहुत बड़ा अंतर है', शशि थरूर का नाम लिए बिना जयराम रमेश ने साधा निशाना

केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने के लिए एक अहम कदम उठाया है. इसके तहत सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा जा रहा है ताकि भारत की स्थिति को वैश्विक स्तर पर मजबूती से रखा जा सके. इसी पहल के अंतर्गत कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर को एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा गया है. हालांकि, इस फैसले ने सियासी हलकों में बहस को जन्म दे दिया है और कांग्रेस के भीतर ही मतभेद उभरते दिखाई दे रहे हैं.
कांग्रेस के भीतर उठते सवाल
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सरकार के इस कदम और शशि थरूर की भूमिका को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना की. उन्होंने बिना थरूर का नाम लिए कहा, "कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों में बहुत बड़ा अंतर है." इस कथन को राजनीतिक गलियारों में शशि थरूर की ओर इशारा माना जा रहा है, जो कि अक्सर पार्टी लाइन से हटकर बयान देने के लिए जाने जाते हैं.
प्रतिनिधिमंडल में नामों की घोषणा पर नाराज़गी
जयराम रमेश ने कहा कि जब सरकार ने विपक्ष से चार नामों की मांग की थी, तो कांग्रेस ने पूरी ईमानदारी से चार नाम भेजे. लेकिन इसके बाद सरकार की तरफ से जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, उससे उन्हें हैरानी हुई. उनका कहना था कि सरकार ने विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया और नामों की घोषणा में पारदर्शिता नहीं बरती. उन्होंने कहा, "हमने विश्वास के साथ चार नाम दिए थे, लेकिन सरकार का रवैया ईमानदारी से परे है. यह गंभीर विषय पर एक राजनीतिक खेल जैसा लगता है."
ट्रंप के बयान पर सरकार की चुप्पी पर सवाल
जयराम रमेश ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात दोहराई. रमेश ने कहा कि इस मुद्दे पर भी सरकार ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने मांग की कि इस विषय पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर खुलकर चर्चा हो सके.
'हम नाम नहीं बदलेंगे'
कांग्रेस नेता ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पार्टी द्वारा भेजे गए चार नामों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, "सरकार की ओर से नाम मांगना और फिर उन्हें प्रतिनिधिमंडल में शामिल न करना, यह असंवेदनशीलता और राजनीतिक चालबाज़ी का संकेत है. हम अपनी ओर से जिम्मेदारी निभा चुके हैं."
सरकार पर ‘राजनीतिक खेल’ खेलने का आरोप
रमेश ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से ‘राजनीतिक खेल’ खेल रही है. उन्होंने कहा, "हम सीधा खेल रहे हैं, पारदर्शिता के साथ, लेकिन सरकार किस रणनीति पर काम कर रही है यह स्पष्ट नहीं है." उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की विदेश नीति विफल हो चुकी है और अब वह देश को गुमराह कर रही है.