नेशनल हाइवे पर टोल टैक्स हुआ फ्री, जानिए कितने किलोमीटर तक मिलेगी यह सुविधा

Update: 2024-09-11 06:36 GMT

नई दिल्ली।  टोल नाकाओं पर मनमानी वसूली के आरोपों का सामना कर रहे सड़क परिवहन मंत्रालय ने मंगलवार को शुल्क वसूली की नई प्रणाली ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के लिए अपने नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी। इस उपग्रह आधारित प्रणाली में शुल्क वसूली के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन बोर्ड यूनिट (OBU) का इस्तेमाल किया जाएगा। नए सिस्टम का प्रचलन बढ़ने के साथ ही मौजूदा टोल नाकाओं की विदाई का समय आ जाएगा। यह प्रणाली शुरुआत में प्रमुख राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर लागू की जाएगी।

सरकार ने नई प्रणाली के लिए राजमार्गों के लिए शुल्क निधारित करने वाले नियमों में संशोधन किया है। इस प्रणाली के लागू होने पर यात्रियों को वर्तमान व्यवस्था में वसूली जा रही एकमुश्त रकम के स्थान पर उतनी ही राशि चुकानी होगी, जितनी उसने यात्रा की है। शुरुआती 20 किलोमीटर की यात्रा पर वाहनों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। नया सिस्टम मौजूदा फास्टैग और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) तकनीक का एक विकल्प होगा। यह संशोधित नियम विकसित टेक्नोलॉजी के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रहण को आधुनिक बनाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हैं।

जीएनएसएस ओबीयू सिस्टम से लैस वाहन अपनी यात्रा की दूरी के आधार पर टोल का ऑटोमेटिक भुगतान करने में सक्षम होंगे। इसके लिए 2008 के नियम-6 में बदलाव किए गए हैं।

जीएनएसएस डिवाइस वाले वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर विशेष लेन बनाई जा रही है, जिससे ऐसे वाहनों को मैन्युअल टोल भुगतान के लिए रुकने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में पंजीकृत नहीं होने वाले वाहनों या जिन पर जीएनएसएस डिवाइस काम नहीं कर रहे हैं, उनसे मानक टोल दरें वसूलना जारी रहेगा।

जीएनएसएस प्रणाली का उपयोग करने वाले वाहनों के लिए 20 किलोमीटर तक का शून्य-टोल कॉरिडोर शुरू किया जाएगा, जिसके बाद यात्रा की गई दूरी के आधार पर टोल वसूला जाएगा।

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