उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती,जिस घर में अनीति से कमाया जाता है पैसा
स्वभाव से जो दुखी है, वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है, उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है।
उज्जैन श्री राधारानी मंडल के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान भागवताचार्य पं. विपिन उपाध्याय ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का वर्णन के दौरान ये बात कही। उन्होंने कहा कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। भगवताचार्य पं. विपिन उपाध्याय ने आगे कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं।
उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान भजनों की प्रस्तुति सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो थिरकने को मजबूर हो गए।
इस दौरान आचार्य ने कहा कि आज व्यक्ति मोह माया के चक्कर में फंसकर अनीति पूर्ण तरीके से पैसा कमाने में जुटा है। जिसका परिणाम अंतत: उसे भोगना पड़ता है। मानव मानव की तरह नहीं जी रहा है। श्रीमद् भागवत जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है।