बढ़ते मोटापे, मधुमेह से निपटने के लिए स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा दें - डब्लूएचओ
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग मोटापा, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अब सभी देशों से संतुलित आहार और शारीरिक व्यायाम को प्रमोट करने के लिए नीतियां बनाने का आह्वान किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा, "बढ़ता वजन, मोटापा और चयापचय संबंधी विकार से ग्रसित मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। यह बीमारियां बच्चों और बड़े दोनों को ही बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए अब डब्लूएचओ की तरफ से यह कदम उठाया गया है।"
उन्होंने कहा कि गैर-संचारी रोगों के मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। इसमें हृदय रोग, मधुमेह, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि यह बीमारियां दो तिहाई मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
युवाओं को छोड़ दिया जाए, तो करीब 5 वर्ष से कम आयु के 50 लाख बच्चे मोटापे से ग्रसित हैं, जिसमें से 3 लाख 73 हजार बच्चे ऐसे हैं, जिनकी उम्र 5 से 19 वर्ष के बीच है।
मौजूदा समय में यह क्षेत्र तीव्र गति से जनसांख्यिकी परिवर्तन, शहरीकरण, आर्थिक विकास और असंतुलित आहार से जूझ रहा है। इससे कई लोगों की जीवनशैली भी प्रभावित हुई है। लगभग 74 फीसद किशोर और 50 फीसद युवा अभी शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं।
मोटापा अब इतनी ज्यादा गंभीर समस्या का रूप धारण कर चुकी है कि अगर यह यूं ही बढ़ता रहा तो हम 2030 तक स्थिर विकास के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसका मूल उद्देश्य गैर-संचारी रोगों से 2030 तक समयपूर्व मृत्यु को रोकना और मानसिक स्वास्थ्य को प्रमोट करना है।
क्षेत्रीय निदेशक ने आगे कहा, "संतुलित आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मौलिक जरूरत है।"
उन्होंने आगे कहा, "ज्ञान और व्यवहार परिवर्तन के अलावा वातावरण भी हमें एक स्वस्थ्य विकल्प चुनने में मदद करता है।"
वाजेद ने घर, स्कूल सहित अन्य स्थानों पर स्वस्थ भोजन वातावरण बनाने के लिए मजबूत नियामक ढांचे और नीतियों का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, राजकोषीय नीतियों को भी स्वस्थ आहार को प्रोत्साहित करना चाहिए।