क्या है क्रिटिकल केयर यूनिट, मरीजों को कब पड़ती है जरूरत, डॉक्टर से जानें

By :  vijay
Update: 2025-01-14 14:39 GMT

बीते कुछ सालों में भारत में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं. बुर्जुगों से लेकर युवा वर्ग में भी यह बीमारी घर कर रही है. सही समय पर ध्यान नहीं देने से यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. कई बार उचित देखभाल नही होने से मरीज की मौत हो गई. अक्सर हार्ट अटैक के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. जहां उसकी देखभाल के लिए क्रिटिकल केयर यूनिट में रखा जाता है. यह मरीज की जान बचाने और उसकी हालत में सुधार लाने के लिए हॉस्पिटल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. समय पर इलाज और उचित देखभाल से हार्ट अटैक के बाद के खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

हार्ट अटैक के बाद का मरीज शारीरिक रूप से बहुत कमजोर होता है. इस दौरान मरीज बेड पर ही लेटा रहता है. उसके अंदर खड़े होने और बोलने की शक्ति नहीं रहती. ऐसे में मरीज की हालत स्थिर करने और हार्ट को सही रूप से काम करने के लिए कई चिकित्सीय उपरकरणों की जरूरत पड़ती है. साथ ही डॉक्टर और विशेषज्ञों की निगरानी में मरीज को रखा जाता है. इसलिए क्रिटिकल केयर यूनिट की आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा हार्ट अटैक के बाद मरीज की बीपी, ऑक्सीजन लेवल कम और फिर से अटैक होने की आशंका बनी रहती है. इसीलिए क्रिटिकल केयर में मरीज को रखकर उसकी देखभाल शुरू कर देनी चाहिए. जिससे मरीज की जान बचाई जा सके.

क्रिटिकल केयर में क्या-क्या होता है?

आर्टिमिस हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर विभाग में सीनियर डॉ. कुलदीप सिंह बताते हैं कि क्रिटिकल केयर में मरीज की हालत की लगातार निगरानी के लिए आवश्यक उपकरण, जरूरी दवाओं की व्यवस्था और मरीज की स्थिति के आधार पर चिकित्सीय निर्णय लेना शामिल होता है. क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में दिल की धड़कनों, रक्तचाप, और अन्य महत्वपूर्ण शारीरिक संकेतों पर कड़ी नजर रखी जाती है. इससे डॉक्टर तुरंत किसी भी असामान्य लक्षण को पहचान कर त्वरित इलाज कर सकते हैं.

हार्ट अटैक के बाद क्रिटिकल केयर में और बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. प्राय: बड़े अस्पतालों में क्रिटिकल केयर यूनिट होती है. इसमें हार्ट अटैक होने के बाद मरीजों के इलाज के लिए लगभग जरूरी चीजें शामिल होती हैं.

ऑक्सीजन सपोर्ट: हार्ट अटैक के दौरान दिल में ऑक्सीजन की कमी होती है, ऐसे में ऑक्सीजन सपोर्ट मरीज के फेफड़ों और दिल को आवश्यक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है.

दवाओं का इस्तेमाल: डॉक्टर खून पतला करने वाली दवाओं, दर्दनिवारक, और दिल की धड़कनों को नियंत्रित करने वाली दवाएं देते हैं. जिससे मरीज की स्थिति में सुधार आती है.

इमरजेंसी प्रोसीजर: कुछ मामलों में मरीज की जान बचाने के लिए एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी की भी जरूरत हो सकती है.

पोस्ट-केयर और रिकवरी

हार्ट अटैक के बाद मरीज को धीरे-धीरे अपनी सामान्य स्थिति में वापस लाने के लिए पोस्ट-केयर और रिहैबिलिटेशन की भी जरूरत होती है. इसमें नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और व्यायाम समेत दवाओं का सही तरीके से लेना शामिल है.

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