कहीं सेहत न बिगाड़ दे ये आम...: कैल्शियम कार्बाइड से पके आमों की बिक्री भीलवाड़ा में, केमिकल की इस तरह करें पहचान

डाल पर प्राकृतिक तरह से पकने वाले आमों से पहले ही शहर से लेकर कस्बाें की सड़कों के किनारे तक आम की बहार दिखने लगी है। इस मिठास के पीछे सेहत बिगाड़ने वाला एक धीमा जहर छिपा है। बाजार में कैल्शियम कार्बाइड जैसे प्रतिबंधित रसायनों से पका कर बेचे जा रहे, इस आम के सेवन से लिवर व गुर्दा के जानलेवा स्तर तक खतरनाक हो सकता है। कार्बाइड से पका कर तैयार आम की धड़ल्ले से हो रही बिक्री के बावजूद इसकी रोकथाम को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग के जिम्मेदार उदासीन बने हैं।
मुनाफे की होड़ में व्यापारी इन्हें दो से तीन हफ्ते पहले तोड़ कर तेजी से पकाने के लिए प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल कर रहे हैं। बारिश से पहले ही डाल के आम के नाम पर केमिकल से पका कर तैयार आम को बेचा जा रहा है।
लिवर व गुर्दें के लिए खतरा बने कैल्शियम कार्बाइड से पका कर बेचे जा रहे आम
फिजिशियन डा. नरेश खंडेलवाल बताते हैं कि कार्बाइड व अन्य रसायनों से पकाए गए आम, केला व अन्य फलों के प्रयोग से पेट में अल्सर, गैस, जलन किडनी और लिवर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक ऐसे आम खाने से कैंसर और तंत्रिका रोग का खतरा भी बढ़ जाता है। बताया कि केमिकल से पकाए गए आम में नेचुरल मिठास और पोषण की मात्रा भी कम होती है।
क्या है कैल्शियम
कार्बाइड इसे आमतौर पर मसाला के नाम से जाना जाता है, इसका रासायनिक फार्मूला सीएसीटू है। इसका इस्तेमाल एसिटिलीन के स्रोत के तौर पर ब्लोटार्च और वेल्डिंग आदि के कार्यों के लिए किया जाता है। पानी के संपर्क में आकर कैल्शियम कार्बाइड एसिटिलीन गैस का निर्माण करता है, जो कि आम को पकाने के लिए कारगर होती है। कैल्शियम कार्बाइड में सूक्ष्म मात्रा में आर्सेनिक और फास्फोरस हाइड्राइड पाए जाते हैं, जो कैंसर कारक हैं।
इस तरह पहचानें केमिकल से पके आम
आमों को पानी से भरे किसी बाल्टी में डालने पर यदि यह तैरने लगे समझ लेना चाहिए कि इन्हें रसायनों की मदद से पकाया गया है। आम अगर हल्का हरापन लिए हो और झुर्रियां भी दिखायी दें तो समझ लेना चाहिए कि इसे पेड़ पर पकने से पहले ही तोड़ कर रसायन से पकाया गया है। केमिकल से पका आम ज्यादा चमकदार और अस्वाभाविक रूप से पीला होता है। इसके ऊपर सफेद या धूल जैसा पाउडर भी दिखता है। केमिकल से पके आम को काटने पर तेज गंध, अंदर से अधपका व सफेद गूदा भी मिलता है।
फल मंडी की नियमित तौर पर जांच ओर निगरानी नहीं की जा रही है। यही वजह हे कि केमिकल से पका कर आम धड़ल्ले से बेचे जा रहे हे
30 से 40 घंटे में पका लेते हैं कच्चा आम
फल कारोबारी कच्चे आम को कार्बाइड लगाकर 30-40 घंटे में पका लेते हैं। इससे आम की आपूर्ति मांग के अनुरूप हो जाती है। जिले में कई गोदामों पर यह काम धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से प्रतिबंधित होने के बावजूद फल विक्रेताओं को बाजारों में कार्बाइड आसानी से उपलब्ध है।